वहीं जिनके यहां शादी का समारोह है वे भी असमंजस में है कि शादी का आयोजन करें या नहीं। परिवार में खुशियों पर एकाएक कोरोना का ग्रहण लग गया है। राज्य सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर बढ़ते देख वीकेंड क$फ्र्यू लगा और अब जन अनुशासन पखवाड़ा के नाम पर सख्त पाबंदियां लागू कर दी।
सरकार की नई गाइड लाइन के अनुसार पचास से अधिक विवाह समारोह में एकत्र नहीं होंगे। सिर्फ पचास मेहमान की बाध्यता को लेकर वर और वधू पक्ष के परिवार भी एकाएक रोक लगने से अधिक परेशान हो गए है। जिन शादियों के निमंत्रण पत्र बंट चुके है और अब संबंधित रिश्तेदारों और मित्रों को शादी में नहीं आने के लिए कॉल की जा रही है।
वहीं अगले सप्ताह हो रही शादियों में मेहमानों की सूची को दुबारा बनाई जा रही है। इधर, पूरे जिले में तीन मई तक करीब आठ सौ और मई माह में अबूझ सावे आखातीज पर अनुमानित एक हजार शादियों का आयोजन होना है, कुल मिलाकर पन्द्रह मई तक ढाई हजार शादियों का कार्यक्रम एकाएक प्रभावित होगा। इन सब पर कोरोना की दूसरी लहर ने पानी फेर दिया है। शादियों के इस कारोबार से जिले में करीब नब्बे से पिचनावें करोड़ रुपए का नुकसान होने का अंंदेशा बना हुआ है।
शादी कारोबार से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इलाके में विवाह कार्यक्रम के इस सीजन से करीब अस्सी हजार लोगों को रोजगार मिलता है। हर वैवाहिक कार्यक्रम में वैटर की जरुरत रहती है। एक शादी में दस वैटर औसतन माने तो जिले में करीब एक हजार शादियों के निरस्त होने से करीब बीस हजार वेटरों को रोजगार नहीं मिल पाएगा।
वहीं हलवाई और उनके हैल्पर करीब पन्द्रह हजार, कैटरीन सुविधा देने वाले करीब चार हजार, इलैक्ट्रिशयन करीब पांच हजार, टेंट लगाने वाले, फूल और अन्य डैकोरेशन करने वाले दस हजार, सब्जी और फ्रूट सप्लाई करने वाले चार हजार, डीजे साउण्ड वाले टैक्नीशियन और हैल्पर करीब चार हजार, बारात में दूल्हे का रथ और लाइटिंग करने वाले करीब चार हजार, वीडियोग्राफर और फोटोग्राफी करने वाले करीब दो हजार, दूध की आपूर्ति करने वाले ढाई हजार, डिस्पोजल का सामान विक्रय करने वाले दो हजार, लोगों को काम ही नहीं मिला।
इसके अलावा राशन सामग्री वाले दुकानदार, फेरो कराने वाले पंडित, ढोल बजाने वाले करीब आठ हजार लोग भी ठाले बैठने को मजबूर हुए है। इसके अलावा ज्वैलरी, रेडीमेड कपड़े, कपड़े, साड़ी, दहेज के सामान जैसे फर्नीचर, अलमारी, डबलबैड, फ्रीज, कूलर, एसी, दुपहिया और चौपहिया वाहन, क्रॉकरी, स्टील और पीतल के बर्तन, प्लास्टिक के सामान आदि दुकानदार भी अप्रत्यक्ष रूप से इस सीजन से जुड़े हुए है।
इस बीच मैरिज पैलेस एसोसिएशन अध्यक्ष जुगल डूमरा का कहना है कि कफर्यू में शादियों के कारोबार से जुड़े हर व्यक्ति को ठाले बैठने को मजबूर कर दिया है। अर्थ व्यवस्था में अप्रत्यक्ष रूप से सक्रिय भूमिका निभाने वाले इस कारोबार को ऑक्सीजन देने के लिए सरकार शादियों में मेहमानों की संख्या पचास की बजाय एक सौ से डेढ़ की संख्या करने से यह कारोबार कुछ पटरी पर आ सकता है।
अन्यथा करीब एक लाख लोगों का परिवार बेरोजगार हो जाएगा। पिछले साल से यह धंधा वैसे ही मंमैरिज पैलेस से कराए, इससे मॉनीटरिंग भी रहेगी। वहीं हाशिए पर चल रही बेरोजगारी की समस्या भी दूर हो सकेगी। इस कारोबार में टैंट, लाइट, साउंड, कैटरिंग, फोटोग्राफर, फूल विक्रेता, बैंड, लवाजमा, हलवाई शामिल है।
पचास व्यक्तियों के शादियों के आयोजन की अनुमति मैरिज पैलेस में कराने से यह भी पता चल सकेगा कि सरकार की गाइड लाइन की पालना हुइ है या नहीं। नहीं हुई तो पैलेस को सीज किया जा सकता है। घरों या अन्य जगह कराने से पता नहीं चल सकेगा कि आयोजन में कितने लोग आए या सोशल डिस्टेंस की पालना हुई या नही।