न्याय शाखा से कई महत्वपूर्ण मुहरें लगभग तीन माह पहले गायब हो गई थी। ऐसी घटना पहली बार हुई थी सो हड़कम्प मचना स्वाभाविक था। जिला कलक्टर सहित अन्य अधिकारियों ने भी मुहरें गायब होने को गंभीर माना। मुहरों का दुरुपयोग होने की आशंका के चलते न्याय शाखा के प्रभारी ने कलक्टर के आदेश पर कोतवाली में मुहरें चोरी होने का मामला दर्ज करवाया। इसमें अभी जांच चल रही है। कलक्टर के आदेश पर इस मामले की प्रशासनिक जांच भी हो रही है।
मामला फिर गर्माया
न्याय शाखा से गायब हुई मुहरों की पुलिस और प्रशासनिक जांच अभी चल ही रही थी कि गायब हुई मुहरें सप्ताह भर पहले न्याय शाखा के एक हिस्से मे बने स्टोर रूम में मिल गई। उल्लेखनीय है कि जब मुहरें गायब हुई थी तब न्याय शाखा के साथ-साथ स्टोर रूम के चप्पे-चप्पे को खंगाला गया था। लेकिन मुहरें कहीं पर भी नहीं मिली। अब मुहरें स्टोर रूम में मिली है तो शक की सुई कलक्ट्रेट के किसी कर्मचारी की तरफ ही जाती दिखती है। यहां यह बात स्पष्ट है कि जिसने न्याय शाखा से मुहरें गायब की थी उसी ने उन्हें स्टोर रूम तक पहुंचाया है। मुहरें गायब करने वाला अगर बाहर का व्यक्ति होता तो वह ऐसा कभी भी नहीं करता।
इसके पीछे उद्देश्य
मुहरें गायब करने के पीछे अगर कलक्ट्रेट के किसी कर्मचारी का हाथ और दिमाग है तो इसके पीछे उसका उद्देश्य या तो न्याय शाखा के मौजूदा कर्मचारियों को इस शाखा से निकालना रहा होगा या फिर उसकी नजर न्याय शाखा की कुर्सी पर रही होगी, जिसे हमेशा से ही कमाई वाली सीट माना जाता रहा है। कलक्ट्रेट का एकमात्र हथियार घोटाला इसी शाखा में हुआ था और तब आमजन को यह पता लगा कि हथियारों के लाइसेंस के नाम पर इस शाखा में कितनी बड़ी बंदरबांट होती रही। अब देखना यह है कि पुलिस और प्रशासनिक जांच में वह चेहरा सामने आता है या नहीं, जिसका कि मुहरें गायब करने में हाथ रहा है।