इस हिसाब से दोनों पार्को पर एक हजार रुपए प्रति दिन के हिसाब से पैनेल्टी वसूली की जाएं तो यह राशि सवा दस लाख रुपए तक पहुंच जाएगी। इन पार्को की अनदेखी का आलम यह है कि नियमित माली की नियुक्ति नहीं की गई हैं। हालांकि नगर परिषद प्रशासन ने खानापूर्ति करते हुए दो बार पौधे जरूर बांटे हैं।
रिवादी के ब्लॉक निवासी राधेश्याम गोयल के परिवाद पर यह आदेश 29 मई 2019 को जिला स्थायी लोक अदालत के तत्कालीन अध्यक्ष नरेश चुघ व सदस्यों अजय मेहता और जेपी गौतम ने दिए थे। इस निर्णय में नगर परिषद प्रशासन को यह निर्देश दिया था कि दो महीने की समय अवधि में पार्को का सुधार नहीं होने पर रोजाना पांच सौ रुपए की पैनेल्टी लगाने के बाद जमा राशि को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से पार्को को सुव्यविस्थत कराने के लिए इस्तेमाल की जाएगी। लेकिन तीन साल बाद भी पार्को की सुध नहीं लेने पर परिवादी ने अब सैशन कोर्ट में इजराय याचिका दायर की हैं।
परिवादी के अनुसार अब तक करीब सवा दस लाख रुपए की पैनल्टी बन चुकी हैं। इसकी वसूली के लिए इजराय याचिका के माध्यम से सैशन कोर्ट से गुहार लगाई गई हैं।
इधर, कलक्ट्रेट परिसर में कुछ वकीलों ने डेरा डाल लिया हैं। वहां बैठने की सीट बना डाली हैं। हालांकि करीब पांच महीने पहले तत्कालीन जिला कलक्टर जाकिर हुसैन के निर्देश पर तत्कालीन उपखंड अधिकारी उम्मेद सिंह रतनू ने इस पार्क में हो रहे कब्जे को रोकने का प्रयास भी किया था, इसके बावजूद वहां चंद वकील काबिज हो गए। कलक्ट्रेट पर आने वाले लोगों के लिए इस पार्क में अधिक सुविधा नहीं है। इ
इधर, कलक्ट्रेट परिसर में कुछ वकीलों ने डेरा डाल लिया हैं। वहां बैठने की सीट बना डाली हैं। हालांकि करीब पांच महीने पहले तत्कालीन जिला कलक्टर जाकिर हुसैन के निर्देश पर तत्कालीन उपखंड अधिकारी उम्मेद सिंह रतनू ने इस पार्क में हो रहे कब्जे को रोकने का प्रयास भी किया था, इसके बावजूद वहां चंद वकील काबिज हो गए। कलक्ट्रेट पर आने वाले लोगों के लिए इस पार्क में अधिक सुविधा नहीं है। इ
धर, सैशन कोर्ट परिसर के पार्क का सौन्दर्यीकरण नहीं किया गया हैं। यह पार्क ज्यादातर वकीलो के आंदोलन के दौरान इस्तेमाल होता हैं।