यहां तक कि बजट की कमी को लेकर जब पार्षदों ने एक दूसरे पर छींटाकशी तब विधायक राजकुमार गौड़ ने विधायक कोटे से दस लाख रुपए देने की घोषणा कर दी थी। लेकिन दस माह की समय अवधि बीतने के बावजूद नगर परिषद प्रशासन अभी तक एक भी जनता क्लीनिक बनाने के लिए भूमि तक तय नहीं कर पाया है।
हालांकि पार्षदों ने लगातार अपने स्तर पर नगर परिषद प्रशासन को लिखित में अवगत भी कराया कि उनके वार्ड में खाली पड़ी भूमि का इस्तेमाल जनता क्लीनिक भवन निर्माण के लिए किया जा सकता है।
लेकिन नगर परिषद प्रशासन ने इस योजना को गंभीरता से नहीं लिया। इस कारण अब तक एक भी जनता क्लीनिक को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। इधर, पार्षद विजेन्द्र स्वामी ने नगर परिषद प्रशासन को जररुत के अनुुरूप वार्डो में जनता क्लीनिक खोलने का आग्रह किया था। स्वामी का कहना था कि जनता क्लीनिक के चयन में किसी तरह की भेदभाव बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
पुरानी आबादी वार्ड १६ में पार्षद सावित्री देवी ने सुखंवत सिनेमा के पास खाली सरकारी भूमि को साफ करवाकर वहां जनता क्लीनिक बनाने का प्रस्ताव नगर परिषद को दिया है।
इधर, वार्ड ६३ के पार्षद धर्मेन्द्र मौर्य ने पुरानी शुगर मिल के पास आरयूबी से सटी खाली भूमि में जनता क्लीनिक के लिए मुख्यमंत्री को भी अवगत कराया था। इस प्रस्तावित क्लीनिक से तीन वार्डो के लोग लाभांवित हो सकते है।
वहीं वार्ड ५२ के पार्षद विजेन्द्र स्वामी ने रविदास मंदिर के पास जनता क्लीनिक बनाने का सुझाव दिया था। इसके अलावा वार्ड ५४ में पार्षद लोकेश सिहाग और मनोनीत पार्षद प्रेम नायक ने श्यामनगर एरिया में जनता क्लीनिक की वकालत की थी।
वित्तीय वर्ष 2019-20२० के राज्य बजट में मुख्यमंत्री ने निरोगी राजस्थान अभियान के तहत प्रदेश में 172 जनता क्लीनिक खोलने की घोषणा की थी। इन क्लीनिक के लिए भवनों का निर्माण दानदाताओं और समाजसेवियों के माध्यम से कराने की बात कही गई थी।
क्लीनिक का संचालन सीएसआर फंड से खर्च करने के निर्देश दिए थे। जनता क्लीनिक के नियम कायदों के अनुसार इस क्लीनिक में कुल नौ पद निर्धारित किए गए है। इसमें एक चिकित्सा अधिकारी, नर्स श्रेणी द्वितीय के दो पद, महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता का एक पद, फार्मास्टिम का एक, सहायक स्टाफ के तीन पद, सफाई कार्मिक का एक पद शामिल है।