scriptबिना संसाधानों के मिलावट के खिलाफ हारते लड़ाई | The losing battle against adulteration without resources | Patrika News

बिना संसाधानों के मिलावट के खिलाफ हारते लड़ाई

locationश्री गंगानगरPublished: Sep 12, 2019 11:38:45 am

Submitted by:

Krishan chauhan

https://bit.ly/2kbfnd1
 

बिना संसाधानों के मिलावट के खिलाफ हारते लड़ाई

बिना संसाधानों के मिलावट के खिलाफ हारते लड़ाई

न पर्याप्त नमूने लेने की व्यवस्था, न ही प्रयोगशालाएं

बिना संसाधानों के मिलावट के खिलाफ हारते लड़ाई

कृष्ण चौहान

नए सीएमएचओ आए तो एक बार तीन-चार कार्रवाई की गई लेकिन अब कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं। श्रीगंगानगर जिले की हर मंडी में एक-एक नमूना त्योहारी सीजन पर लेना मुश्किल होता है। फूड सेफ्टी अधिकारी होली, दीवाली, दशहरा पर खाद्य पदार्थों में मिलावट के खिलाफ अभियान चलाकर खानापूर्ति करते हैं। खाद्य संरक्षा अधिकारी के अलावा कोई अन्य अधिकारी खाद्य पदार्थों की जांच के लिए नमूना तक नहीं लेते हैं।
श्रीगंगानगर. श्रीगंगानगर सहित राज्य में खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने और जन स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए खाद्य सुरक्षा अधिनियम जरूर बना रखा है लेकिन संसधानों की कमी सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। पर्याप्त संसाधन और जांच प्रयोगशालाएं नाकाफी होने की वजह से नाम मात्र की कार्रवाई की जाती है।
नए सीएमएचओ आए तो एक बार तीन-चार कार्रवाई की गई लेकिन अब कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हो रहा है। प्रदेश में 50 लाख से अधिक खाद्य कारोबारी हैं लेकिन विभाग के पास इनकी जांच करने के लिए पर्याप्त अधिकारी तक नहीं है। श्रीगंगानगर व करौली में एक भी खाद्य सुरक्षा अधिकारी नहीं है जबकि 20 जिलों में एक-एक अधिकारी है। हर जिले में एक जांच प्रयोगशाला के लिए विभाग अब तक सोच तक नहीं पाया है। खाद्य पदार्थों में मिलावट हर ब्लॉक से नमूना लेना मुश्किल हो रखा है। श्रीगंगानगर जिले की हर मंडी में एक-एक नमूना त्योहारी सीजन पर लेना मुश्किल होता है। फूड सेफ्टी अधिकारी होली, दीवाली, दशहरा पर खाद्य पदार्थों में मिलावट के खिलाफ अभियान चलाकर खानापूर्ति करते हैं। खाद्य संरक्षा अधिकारी के अलावा कोई अन्य अधिकारी खाद्य पदार्थों की जांच के लिए नमूना तक नहीं लेते हैं।
राज्य के छह जिलों में ही लैब
प्रदेश में खाद्य नूमनों के परीक्षण करने के लिए हर जिला स्तर पर एक-एक लैब होनी चाहिए। राज्य में जयपुर अलवर, कोटा, उदयपुर, अजमेर और जोधपुर में ही खाद्य जांच प्रयोगशालाएं है। इस साल की शुरुआत में राज्य सरकार ने मिलावटी खाद्य सामग्री पर नियंत्रण करने के लिए अभियान चलाया गया था। लेकिन पहले लोकसभा चुनाव और फिर विधानसभा सत्र के दौरान यह अभियान की हवा निकल गई। जिले में एक लैब की आवश्यकता है। पहले सीएमएचओ आफिस में लैब हुआ करती थी और खाद्य संरक्षा अधिकारी के दो पद स्वीकृत है। लेकिन यहां पर एक भी अधिकारी नहीं है और लैब एक दशक पहले ही बंद हो गई। उपकरण खराब हो गए।
खुल सकती है नई लैब–राज्य सरकार का दावा है कि भरतपुर,चूरू,डूंगरपुर,बीकानेर और जालौर में जल्दी नई जांच प्रयोगशालाएं शुरू करने की योजनाएं हैं। इसके बाद प्रदेश में जांच प्रयोगशालाओं की संख्या 11 तक पहुंच जाएगी।
60 हजार चाहिए,एक हजार–विभाग के पास जांच नमूने लेने सहित मिलावट पर निगाह रखने के लिए मात्र 60 ही निरीक्षाक अधिकारी है। खाद्य सुरक्षा अधिकारी के 98 पदों पर भर्ती के लिए अब प्रक्रिया चल रही है। जबकि 50 लाख कारोबारियों को देखते हुए 1000 से अधिक अधिकारियों की आवश्यकता जताई जा रही है।
35 दिन बाद जांच रिपोर्ट

त्योहार पर मिलावट की जांच के लिए नमूने लेते हैं। जांच का परिणाम जब तक आएगा तब तक मिठाई कैसी थी। इसकी बिक्री हो चुकी होती है। चिकित्सा विभाग के अनुसार 35 दिन में नमूनों की जांच रिपोर्ट आती है।
स्टाफ की क्या है स्थिति

खाद्य संरक्षा अधिकारी हरिराम वर्मा की मूल पोस्टिंग हनुमानगढ़ जिले में है। श्रीगंगानगर जिले का इनके पास अतिरिक्त चार्ज है। वर्मा कभी श्रीगंगानगर तो कभी हनुमानगढ़ जिले में खाद्य पदार्थों की जांच करने के लिए नमूने लेने की कार्रवाई करते हैं। जबकि हनुमानगढ़ में दो खाद्य संरक्षा अधिाकरी है। जबकि यहां पर एक भी नहीं है।
क्या है प्रावधान

विभागीय अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2011 में देश भर में फूड सेफ्टी एक्ट लागू किया था। इसके बाद से अनसेफ वाले मामले कोर्ट में चले जाते हैं। इसमें छह माह से आजीवन कारावास और दस लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। राज्य में पिछले छह सालों में मिले 508 अनसेफ मामले भी कोर्ट में है। इनमें सजा किसी को नहीं हुई है। वहीं, सब स्टेडर्ड और मिस ब्रांड मामले में केवल जुर्माने का प्रावधान है। यह जुर्माने सब स्टेंडर्ड में पांच लाख तक और मिस ब्रांड में तीन लाख तक है। जुर्माना पर फर्म को फूड सेफ्टी ट्रिब्यू में जाने का भी अधिकार होता है। यहां पर एक-दो उपभोक्ता को 50-50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।
किसमें क्या होती है मिलावट

-मावा–पॉम, ऑयल, मिल्क पाउडर, स्टार्च।

-घी- खुशबू के लिए एसेन्स, पॉम ऑयल, वनस्पति घी।

श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले में एक खाद्य संरक्षा अधिकारी है और उनकी मूल नियुक्ति हनुमानगढ़ जिले में है। श्रीगंगानगर जिले का इनके पास अतिरिक्त चार्ज है। इसके बावजूद समय-समय पर ख
ाद्य पदार्थों की जांच कर नमूने लेने की कार्रवाई की जा रही है।
-डॉ. गिरधारी लाल मेहरड़ा, सीएमएचओ, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी श्रीगंगानगर।

ट्रेंडिंग वीडियो