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श्री गंगानगर

चुगाई की दर बढ़ी, फिर भी चुगाई के लिए नहीं मिल रहे चुगारे

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श्री गंगानगरOct 09, 2019 / 05:38 pm

Krishan chauhan

चुगाई की दर बढ़ी, फिर भी चुगाई के लिए नहीं मिल रहे चुगारे

चुगाई की दर बढ़ी, फिर भी चुगाई के लिए नहीं मिल रहे चुगारे

जिले में कॉटन की बंपर फसल

चुगाई की दर बढ़ी, फिर भी चुगाई के लिए नहीं मिल रहे चुगारे

कॉटन की चुगाई प्रति क्विंटल सात सौ से एक हजार रुपए तक पहुंची

श्रीगंगानगर. जिले में इस बार कॉटन की बंपर फसल का उत्पादन होने का अनुमान है। कॉटन की एक लाख 74 हजार 959 हैक्टेयर में फसल की बुवाई हुई थी। पहले अच्छी बारिश हुई और बाद में सिंचाई पानी भी पर्याप्त मिला। इस कारण क्षेत्र में कॉटन की फसल का उत्पादन प्रति बीघा छह से लेकर दस क्विंटल तक होने का अनुमान है। पिछले साल की तुलना में इस बार कॉटन की फसल 36 हजार 540 हैक्टेयर में ज्यादा बुवाई हुई है। लेकिन अब कॉटन की चुगाई करने के लिए गांवों में चुगारे (मजदूर) नहीं मिल रहे हैं। कॉटन की चुगाई पहले सात से आठ सौ रुपए प्रति क्विंटल चल रही थी लेकिन अब गांवों में आठ सौ से एक हजार रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गई है। इसके बावजूद गांव में नरमा चुगाईं करने के लिए चुगारे नहीं मिल रहे हैं।
मनरेगा में 60 प्रतिशत लैबर हुई कम

खेत-खलिहान में काम के चलते मनेरगा पर ब्रेक लग रहा है। जिले में एक पखवाड़ा पहले 85 हजार लैबर काम कर रही थी। इस पखवाड़ा अब लेबर घटकर 37 हजार 127 ही रह गई। साथ ही श्रमिकों को मनरेगा में मजदूरी जहां 199 रुपए तय है और मेट की 213 रुपए है जबकि इनको औसत मजदूरी 128 रुपए तक मिल रही है। अब मनरेगा को छोडकऱ एक बार श्रमिक खेल-खलिहान में नरमा-कपास की चुगाई में व्यस्त हो गए। एक मजदूर 50 किलो नरमा-कपास की चुगाई करता है तो प्रतिदिन 400 से 500 रुपए की मजदूरी बन रही है। इस कारण मजदूर वर्ग अब मनरेगा कार्य से हटकर खेतों में कॉटन की चुगाई में लग गए हैं।
खूब मान-मनुव्वार

गांव 15 पीएस के किसान बलवीर सिंह ने बताया कि मेरे खेत में 15 बीघा में नरमा की फसल है। नरमा की फसल इस बार बंपर है लेकिन अब चुगाई के लिए चुगारे नहीं मिल रहे हैं। आठ सौ से एक हजार रुपए प्रति क्विंटल तक चुगाई दे रहे हैं। गांव से चुगारों को अब जीप में लेकर जाना पड़ता है और शाम को वापस घर भी छोड़ते हैं। दिन में दो व तीन बार अच्छी गुणवत्ता की चाय बनाकर देनी पड़ती है। पशुओं के हरा चारा भी देना पड़ता है। और जलाने के लए बनछटियां (लकड़ी) देने का आश्वासन भी दिया है। तब जाकर मुश्किल से गांवों में चुगारे नरमा-कपास की चुगाई के लिए हां भर रहे हैं। इन दिनों चुगारों की हर गांव-ढाणी में खूब मान-मनुव्वार हो रही है। नरमा की कई जगह चुगाई की रािश अग्रिम तक दी जा रही है।
जमीन लेकर काश्त करने वालों को नुकसान

नरमा-कपास की चुगाई महंगी होने का असर सीधे उन काश्तकारों पर पड़ रहा है, जो चौथे या पांचवें हिस्से में जमीन लेकर काश्त कर रहे हैं। इनका कहना है कि मेरे हिस्स में जो राशि आएगी वो तो चुगाई में लग जाएगी। मुझे तो घर से ही राशि देनी पड़ेगी।
मंडी में कॉटन की चार हजार क्विंटल आवक
दी गंगानगर ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन कुमार का कहना है कि सोमवार को नई धानमंडी में नरमा की फसल की आवक चार हजार क्विंटल हुई और औसत भाव 5300 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है। जबकि कॉटन की एमएसपी 5404 रुपए प्रति क्विंटल है।
जिले में इस बार खरीफ की मुख्य फसल कॉटन की बुवाई पिछले साल की तुलना में 36 हजार 540 हैक्टेयर अधिक है। साथ ही इस बार कॉटन की फसल का उत्पादन अच्छा है।

-मिलिंद सिंह, कृषि अनुसंधान अधिकारी (शष्य)जिला परिषद श्रीगंगानगर।

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