विशिष्ट लोक अभियोजक नवप्रीत कौर संधु ने बताया कि 17 नवम्बर 2015 को पीडि़ता के पिता ने महिला थाने में आरोपी जोनी अरोड़ा के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। इसमें बताया कि उसकी बारहवीं कक्षा में अध्ययनरत बेटी को जोनी तंग करने लगा तो उसकी शिकायत सदर पुलिस से की थी। लेकिन गलती मानने पर यह मामला निपट गया। इस दौरान फिर से जोनी ने अपनी धर्मबहन के माध्यम से उसकी बेटी से संपर्क साध लिया और बहकावे में लेकर प्रेम पत्र लिखने लगा।
यहां तक कि छेड़छाड़ भी की गई। उसके घर पर रखी पच्चीस लाख रुपए की रकम गायब हुई तो उसने नौकररानी पर शक किया जब गहरी जांच की तो पता चला कि जोनी ने यह रुपए उसकी बेटी को ब्लैकमेल से हासिल कर लिए। इस संबंध में पंचायत भी हुई तो जोनी के परिजनों ने अपनी गलती मानी और रकम वापस लौटाने की बात कही। लेकिन कुछ समय बाद रुपए वापस नहीं दिए और प्रेम पत्रों को पूरे इलाके में वायरल कर उसकी बेटी और परिवार की बदनामी करनी की धमकी दे दी। इस पर पुलिस ने जांच की तो आराेपी जोनी अरोड़ा की ओर से की गई घटना की पुष्टि हुई।
अभियुक्त जोनी अरोड़ा की ओर से ब्लैकमेल किए जाने की धमकी से तंग आकर पीडि़ता को देश छोड़ना पड़ा। पीडि़ता के परिवार ने उसे देश से बाहर पढ़ने के लिए भेज दिया। जोनी आरोडा ने व उसके परिवार वालों ने 25 लाख रूपये लेना स्वीकार किया। अदालत में ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 9 गवाह और 7 दस्तावेज प्रस्तुत किए ।
अदालत ने नहीं मानी दलीलअदालत में बचाव पक्ष के वकील ने आरोपी को परिवीक्षा का लाभ दिए जाने का आग्रह करते हुए तर्क दिया कि जिस प्रकृति का अपराध किया गया है। इसे प्राथमिक स्टेज पर ही रोका जाना आवश्यक है। इस पर अदालत का कहना था कि इस प्रकरण में पच्चीस लाख रुपए की राशि भयभीय कर पीडि़ता से प्राप्त किए जाने के आरोप को आरोपी ने स्वीकार किया है। इस कारण आरोपी जॉनी अरोडा को परिवीक्षा अधिनियम का लाभ दिया जाना विधि संगत एवं न्याय संगत प्रतीत नही होता हैं।
आरोपी पुरानी आबादी कृष्णा मंदिर एरिया ताराचंद वाटिका हाल निवासी सिविल लाइंस जी-47 निवासी जॉनी अरोड़ा पुत्र जगदीश कुमार को दोषी मानते हुए पोक्सो की धारा 11 क 4 और धारा 12 में तीन साल कठोर कारावास व पांच हजार रुपए जुर्माना, आईपीसी की धारा 354 डी में भी तीन साल कठोर कारावास व पांच हजार रुपए जुर्माना, आईपीसी की धारा 384 में तीन साल कठोर कारावास व दस हजार रुपए जुर्माने से दंडित किया। जुर्माना नहीं देने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।.
अब सहन करने की जरुरत नहीं
नाबालिग छात्राएं अक्सर इस आयु में किसी के प्रभाव में आ सकती है। लेकिन कोई गलत फायदा उठा रहा है या मानसिक या शारीरिक से प्रताडित करता हैं तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई का प्रावधान हैंं। इस प्रकरण में भी ऐसा ही हुआ है। पीडि़ता छात्रा को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा हैं। यहां तक कि उसे परिवार के साथ साथ देश छो़ड़ने को मजबूर कर दिया गया। लेकिन कोर्ट ने सख्त सजा देकर पीडि़ता को न्याय दिलाने का काम किया हैं।- नवप्रीत कौर संधु, विशिष्ट लोक अभियोजक पोक्सो कोर्ट संख्या दो