यह रायफल भारी भरकम जरूर थी लेकिन इसका निशाना अचूक और काफी दूरी तक मार करता था। भारी व बड़ी होने तथा पुरानी होने के कारण इस रायफल को कई साल पहले पुलिस ने हटा दिया और आधुनिक हथियार आ गए। पुलिस कर्मियों का कहना है कि इन पुरानी रायफलों को पुलिस प्रशिक्षण केन्द्रों पर भेज दिया गया।
जिलों में कुछ ही संख्या में यह रायफलें पुलिस ने अपने पास रखी। इतने सालों से पुलिस की शान रही इस रायफल को तो ट्रेनिंग सेंटरों पर भेज दिया गया लेकिन पुलिस के पास भारी संख्या में इनके कारतूस बच गए। इन कारतूसों को ठिकाने लगाने के लिए पुलिस ने भी तोड़ निकाल लिया और हर साल पुलिस कर्मियों को कराए जाने वाले फायरिंग के अभ्यास में 303 रायफल से ही निशाना लगवाया जाता है, जिससे धीरे-धीरे इनके कारतूस खाली होते जाएं। इन कारतूसों को निपटाने के लिए ही फायरिंग रेंज में इन रायफलों से निशाने का अभ्यास कराया जाता है।
प्रथम विश्व युद्ध में मचाया था तहलका
303 रायफल अंग्रेजों के जमाने की रायफल है। उस समय यह काफी दमदार रायफल मानी जाती थी। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस रायफल ने प्रथम विश्व युद्ध में तहलका मचा दिया था। इसका निशाना भी सटीक लगता है। प्रथम विश्व युद्ध में कई देशों की सेनाओं ने इस रायफल से दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे।
पुरानी 303 रायफलें तो पहले ही हटा दी गई है लेकिन उनके कारतूस पुलिस के पास बचे हुए हैं। इन पुराने कारतूसों को पुलिस के *****ना फायरिंग अभ्यास में खपाया जा रहा है। पुलिस कर्मियों को *****ना फायरिंग अभयास में इसी रायफल से निशाना लगवाया जाता है।
सुरेन्द्र सिंह,
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक
श्रीगंगानगर।
अभी गलाए थे छह क्विंटल खाली कारतूस
फायरिंग अभ्यास के दौरान पिछले कई सालों में खाली हुए 303 रायफल के खाली कारतूसों को करीब एक माह पहले ही पुलिस लाइन में जयपुर की एक कंपनी की ओर से गलवाकर सिल्लियां बनवाई गई थी। इन खाली कारतूसों का वजन करीब छह क्विंटल से भी अधिक था। इनको यहां गलवाकर सिल्लियां बनाकर पुलिस मुख्यालय भिजवा दिया गया। जहां इन सिल्लयों की नीलामी की जाएगी।