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थर्मल की राख बनी परेशानी का सबब, हवा के साथ उड़कर स्वास्थ्य पर डाल रही प्रभाव

locationश्री गंगानगरPublished: Jun 13, 2018 04:36:39 pm

Submitted by:

vikas meel

सूरतगढ़ तापीय परियोजना की इकाइयों में बिजली उत्पादन के दौरान जलने वाले कोयले से बनी राख आवासीय कोलोनी के लोगो के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।

सूरतगढ़ थर्मल।


सूरतगढ़ तापीय परियोजना की 250-250 मेगावाट की छह इकाइयों में बिजली उत्पादन के दौरान जलने वाले कोयले से बनी राख आवासीय कोलोनी सहित सोमासर, ठुकराना, फरीदसर, रायनवलिक अलावा आस पास की ढाणियों के लोगो के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।

 

गर्मियों में चलने वाली तेज हवाओ के साथ परियोजना के बाहर बने ऐश डाइक की राख उड़कर लोगो के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। जिसके कारण आस पास के ग्रामीणों को सांस सम्बन्धी बीमारियों का भी खतरा बना हुआ है। गौरतलब है कि सूरतगढ़ तापीय की सभी छह इकाइयों से रोजाना करीब 5 हजार टन राख का निर्माण होता है। जिसके निस्तारण के लिए परियोजना की सभी इकाइयों में सीमेंट कम्पनियो द्वारा फ्लाई ऐश साइलो का निर्माण करवाया गया है। जिनसे सीधे बल्करो में भर कर राख सीमेंट कम्पनियो में भेजा जाता है। इसके अलावा इकाइयों से बनने वाली भारी राख (बॉटम ऐश) पानी के माध्यम से पाईपों द्वारा परियोजना के बाहर बने 4 किमी चौड़े एवम 4 किमी लम्बे ऐश डाइक में प्रवाहित किया जाता है।

 

जिसे सीमेंट कम्पनियां एवम अन्य उपभोक्ताओं द्वारा ऐश डाइक (पौंड) से राख निकाल कर खुले में सुखाकर ट्रको द्वारा परिवहन किया जा रहा है। जो आमजन के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है। खुले में सुख रही राख हवा के साथ उड़ कर आस पास के गांवों एवम कॉलोनी तक फैल जाती है। जैसे मामूली आधी से ही जमीन पर राख की सफेद परत जम जाती है।बुधवार दिनभर चली हवाओ के कारण उड़ती राख से लोगो को काफी दिक्कत हुई। ऐश डाइक के नजदीक ढाणी में रहने वाले महावीर झोरड़ ने बताया कि इस सम्बंध में थर्मल अधिकारियों को अनेको बार खुले में राख सुखाने पर रोक लगाने की मांग की जा चुकी है, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नही हुई है।

 

चिकित्सको एवम स्वास्थ्य विशेषग्यो ने बताया की राख के हल्के कण हवा के साथ उड़कर मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते है, एवम दमा, टीबी, सांस एवम फेफड़ो की बीमारियों का कारण बनते है।उन्होंने बताया की पिछले कुछ वर्षो में परियोजना क्षेत्र में ऐसे मरीजो की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

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