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कैंसर पर कंट्रोल के तीन सूत्र: पेंढ़ारकर

locationश्री गंगानगरPublished: May 14, 2018 10:55:50 am

Submitted by:

pawan uppal

-इंसान अपने जीवन में तीन बातों पर कंट्रोल कर ले तो कैंसर से बच सकेगा। देशभर में हर साल 15 लाख लोग कैंसर की चपेट में आ रहे हैं।

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हनुमानगढ़.

इंसान अपने जीवन में तीन बातों पर कंट्रोल कर ले तो कैंसर से बच सकेगा। देशभर में हर साल 15 लाख लोग कैंसर की चपेट में आ रहे हैं। तम्बाकू, शराब व अधिक भोजन करने में नियंत्रण कर व्यक्ति फिट रहने के साथ-साथ कैंसर को दूर भगा सकता है। यह बात मुम्बई के एशियन कैंसर इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. दिनेश पेंढारकर ने जिला अस्पताल में आयोजित कैंसर रोग शिविर से पूर्व पत्रिका से बातचीत के दौरान कही।
डॉ. पेंढारकर ने कहा कि महिलाओं का वजन पर नियंत्रण, प्रसव के दौरान बच्चे को निरंतर फीड देने आदि बातों पर ध्यान रखने से ब्रेस्ट कैंसर से बचा जा सकेगा। शिविर में स्टेट कैंसर नोडल ऑफिसर डॉ. आशुतोष व जिला अस्पताल के डॉ. विजय शर्मा ने सेवाएं दी। डॉ. शर्मा ने बताया कि कैंप में जांच के लिए 50 रोगियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, इनमें से 46 रोगी ही आए। जिनकी जांच कर दवा दी गई और रोग गंभीर होने पर हायर सेंटर जाने की सलाह दी।

साल भर का होगा रिकार्ड
डॉ. दिनेश पेंढारकर ने बताया कि प्रत्येक जिले के जिला अस्पताल में एक कैंसर रोग विशेषज्ञ व दो नर्सिंग स्टाफ को इलाज करने के लिए प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसी तरह प्रदेश में 33 चिकित्सक का एक ग्रुप तैयार होगा। जो शिविर के दौरान रोगी की जांच करने के साथ-साथ गंभीर स्थिति होने पर सभी 33 चिकित्सक एक दूसरे से अनुभव साझा कर सकेंगे। इसके बावजूद रोग से संबंधित सलाह भी ले सकेंगे। इन सबकेके बाद ही रोगी को हायर सेंटर भेजा जाएगा। इससे रोगी को आने जाने में परेशानी भी नहीं होगी और स्थानीय स्तर पर आसानी से इलाज भी संभव होगा। साल भर के दौरान इस बात की भी जानकारी होगी कि जिले में सबसे ज्यादा किस तरह के कैंसर से पीडि़त रोगी हैं।

कीमोथैरेपी की सुविधा
डॉ. दिनेश पेंढारकर के अनुसार जिला अस्पताल में कीमोथेरेपी की सुविधा शुरू होगी। इसके लिए नर्सिंग स्टाफ को ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है। कैंसर के रोगी कीमोथेरेपी से डरते. हैं, स्थानीय तौर पर यह सुविधा शुरू होने से इनका डर तो कम होगा ही, इसके अलावा हायर सेंटर में आने-जाने में हो रही परेशानी भी खत्म होगी। उन्होंने बताया कि एक वर्ष के अंदर इन शिविरों में कितने रोगी सामने आएंगे उनका एक डेटा तैयार किया जाएगा। इन रोगियों को किस तरह का कैंसर है, इसके बारे में मालूम हो जाएगा। डॉ. दिनेश ने दावा किया कि उन्होंने 1987 में भारत में सबसे पहले मरीजों की कीमोथेरेपी शुरू की थी।

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