श्री गंगानगर

कहीं सफेद मक्खी न बन जाए बैरी?

खरीफ की प्रमुख फसलों में शामिल कपास में विशेष सावधानी का समय आ गया है। सफेद मक्खी के लिए मौसम अनुकूल होने के कारण उसका प्रकोप हो सकता है।

श्री गंगानगरJul 09, 2018 / 08:01 pm

vikas meel

kapaas

आया कपास में सावधानी का समय

श्रीगंगानगर.

खरीफ की प्रमुख फसलों में शामिल कपास में विशेष सावधानी का समय आ गया है। सफेद मक्खी के लिए मौसम अनुकूल होने के कारण उसका प्रकोप हो सकता है। इसे देखते हुए किसानों को समय रहते, पहले ही नीम आधारित छिड़काव का सहारा लेना चाहिए।

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कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक विजेंद्रसिंह नैण के मुताबिक कपास की फसल बढ़वार की ओर है, किसानों को खेत का नियमित निरीक्षण करना चाहिए और किसी प्रकार की असामान्य स्थिति नजर आते ही कृषि विभाग के नजदीकी अधिकारी और कृषि वैज्ञानिकों से सम्पर्क कर सिफारिश के अनुसार जरूरी उपाय करने चाहिए।

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उल्लेखनीय है कि पहले कई बार सफेद मक्खी कपास उत्पादकों के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है। इसकी वजह से उत्पादन और गुणवत्ता घटी थी, उत्पादन लागत बढ़ी थी। पुराने अनुभव को ध्यान में रखते हुए संयुक्त निदेशक ने श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले के अधिकारियों को सफेद मक्खी के संबंध में अतिरिक्त सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं। विभाग की गोष्ठियां आदि में अलग से बताया जा रहा है।

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दूसरी तरफ, कृषि अनुसंधान केंद्र की मौसम आधारित कृषि साप्ताहिकी में भी कपास में सावधानी रखने की सलाह दी गई है। इसके मुताबिक नरमा-कपास में कहीं-कहीं सफेद मक्खी दिखाई देने लगी है। खेतों का नियमित निरीक्षण करना चाहिए और आर्थिक हानि स्तर (8-12 सफेद मक्खी प्रति पत्ती) की स्थिति में नीम आधारित छिड़काव करना चाहिए। सफेद मक्खी की रोकथाम के लिए 32 से 48 पीले रंग का ट्रेप प्रति हेक्टेयर प्रयोग लेना चाहिए। देशी कपास में खरपतवार नहीं पनपने देना चाहिए।

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बीटी कॉटन-186806 हे.
नरमा-19602 हे.

देशी कपास-7421 हे.

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