फितरत से समझौता करना नहीं सीखा इस विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने
मंगेश कौशिक
श्रीगंगानगर. राजस्थान के उत्तर में पंजाब से सटे श्रीगंगानगर जिले के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है गंगानगर विधानसभा क्षेत्र। राजस्थानी और पंजाबी संस्कृति का अनूठा संगम है यह। चुनाव में यहां का मतदाता विकास को दरकिनार कर जिसको हराना है उसका नाम पहले तय करता है।
मंगेश कौशिक
श्रीगंगानगर. राजस्थान के उत्तर में पंजाब से सटे श्रीगंगानगर जिले के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है गंगानगर विधानसभा क्षेत्र। राजस्थानी और पंजाबी संस्कृति का अनूठा संगम है यह। चुनाव में यहां का मतदाता विकास को दरकिनार कर जिसको हराना है उसका नाम पहले तय करता है।
भैरोसिंह शेखावत जैसे दिग्गज नेता को मतदाता की इसी सोच के कारण पराजय का सामना करना पड़ा। यह बात अलग है कि शेखावत को हराने का जो खमियाजा इस विधानसभा क्षेत्र को ही नहीं, पूरे जिले को भुगतना पड़ा। उसका मलाल लोगों को आज भी है। खैर! फितरत से समझौता करना इस विधानसभा क्षेत्र के मतदाता को मंजूर नहीं। प्रदेश की राजनीति में बड़े चेहरे रहे प्रो. केदारनाथ शर्मा यहां से छह बार विधायक रहे।
वह खास के नहीं आम के नेता थे सो उनसे विकास की अपेक्षा किसी ने रखी ही नहीं। चार बार चुनाव जीते राधेश्याम गंगानगर ने शहर को नया स्वरूप दिया। लेकिन 2013 के चुनाव में मोदी लहर के बावजूद मतदाता ने उनकी हार तय कर जमींदारा पार्टी की कामिनी जिंदल को जीता दिया। इस हार के बाद राधेश्याम गंगानगर क्षेत्र की राजनीति में हाशिये पर चले गए।
कामिनी जिंदल को जिताने वालों को अब मलाल इस बात का है कि राधेश्याम गंगानगर को जिताया होता तो वरिष्ठता को देखते हुए भाजपा सरकार में उन्हें मंत्री पद मिलता और शहर में अच्छा विकास होता। अन्य वादों के साथ शहर को चण्डीगढ़ का बच्चा बनाने का वादा राधेश्याम गंगानगर हर चुनाव में करते रहे हैं।
दीपावली पर शहर की रौनक देखने निकला तो सडक़ों की हालत देखने को मिली। शहर के व्यस्ततम रविन्द्र पथ पर मटका चौक स्कूल के पास और अन्य कई जगह सडक़ के बीचोबीच बने गहरे और चौड़े गड्ढों के कारण बार-बार जाम लग रहा था। सुखाडिय़ा मार्ग, मीरा मार्ग और गगन पथ पर भी कमोबेश यही स्थिति देखने को मिली। मुख्यमंत्री गौरव यात्रा पर आई थी तो एक युवक के शहर की दुर्दशा की तस्वीर दिखाने पर उन्होंने सडक़ों की हालत सुधारने के निर्देश दिए थे।
उनकी गौरव यात्रा के इतने दिन बाद सडक़ों की ऐसी स्थिति देखकर कथनी और करनी में फर्क वाली कहावत का स्मरण कर संतोष करना पड़ा। सत्ता परिवर्तन के बाद सुधार की उम्मीद लिए जिला अस्पताल पहुंचा तो अव्यवस्था का सामना मुख्य द्वार पर ही हो गया। आउटडोर से होते हुए वार्डों में पहुंचा तो बदलाव कहीं नजर नहीं आया। एक मरीज कराह रहा था, उसे देखने को वार्ड में नर्सिंग स्टाफ नहीं था।
व्यवस्था को लेकर जिम्मेदारी लेने वाला मुझे कोई नहीं दिखा। आउटडोर में डॉक्टर की कुर्सी खाली और बाहर मरीजों की लंबी कतार। जांच करवानी है तो घंटों करो इंतजार। शौचालयों की हालत ऐसी की भीतर जाकर बाहर आएं तो हालत हो जाए बीमार जैसी। इमरजेंसी में इमरजेंसी जैसा कुछ दिखा नहीं तो बाहर आ गया। इसकी दीवार के पास जाकर उस पार नजर डाली तो शहर की जनता के एक सपने को त्रिशंकु बने देखा।
अर्थात सरकारी मेडिकल कॉलेज। नींव के लिए की गई खुदाई के बीच झांकते शिलान्यास का पत्थर पर लिखी तिथि देखकर मैंने अंदाजा लगाया अब तक पचास डॉक्टर तो इस मेडिकल कॉलेज की देन हो जाते। वादा तो यही था ना।
दीपावली है तो घर की साफ-सफाई लाजिमी है। महिलाओं ने दिन-रात लगकर ऐसा किया। लेकिन जो कचरा इक_ा हुआ उसके निस्तारण को लेकर उन्हें खूब मशक्कत करनी पड़ी।
दीपावली है तो घर की साफ-सफाई लाजिमी है। महिलाओं ने दिन-रात लगकर ऐसा किया। लेकिन जो कचरा इक_ा हुआ उसके निस्तारण को लेकर उन्हें खूब मशक्कत करनी पड़ी।
नगर परिषद की घर-घर जाकर कचरा संग्रहण करने की व्यवस्था हाथी के दांत से ज्यादा कुछ नहीं। कचरा संग्रहण करने वाला वाहन एक दिन आपकी गली में आ गया तो फिर दस दिन की छुट्टी। शहर के गली मोहल्लों में जहां-तहां कूड़े करकट के ढेर देख स्वच्छता अभियान और उसको लेकर किए जा रहे दावे खोखले लगे।
इस विधानसभा क्षेत्र का बड़ा हिस्सा ग्रामीण भी है। पंचायतों को पिछले पांच सालों में खूब पैसा मिला है, जिससे कच्ची गलियों की जगह इंटरलॉकिंग सडक़ें बन गई है। लेकिन पानी की निकासी की व्यवस्था पंचायतें नहीं कर पाई। नहरी पानी की कमी का मुद्दा गांवों में है। डबल डेकर नहर की बात चलने पर ग्रामीण कहते हैं- है जकी मांय पूरा पाणी चाल ज्यावै तो ही घणो।
विधायक कामिनी जिंदल क्षेत्र में सक्रिय रही। लेकिन चुनाव के समय किए गए वादे पूरे नहीं होने पर जनता ही उनसे दूर होती गई। ग्रामीण क्षेत्र में विधायक निधि से कराए गए कार्यों के कारण ग्रामीण उन्हें याद करते हैं। शहर में तो मेडिकल कॉलेज को लेकर ही जनता उनकी खुलकर खिलाफत कर रही है। प्रतिद्वंद्वी रहे राधेश्याम गंगानगर अस्वस्थता के चलते जनता से दूर हो गए। अब स्वस्थ हैं तो फिर से जनता के बीच हैं और निर्दलीय चुनाव लडऩे को तैयार हैं।
वादे जो नहीं हुए पूरे
विधायक कामिनी जिंदल ने चुनाव के समय जनता से कई वादे किए थे। जनता को विश्वास था कि धनाढ्य परिवार से संबंध रखने वाली महिला उम्मीदवार न खाएगी और न ही खाने देगी और कम पड़ेगा तो पल्ले से खर्च कर विकास करवाएगी। मेडिकल कॉलेज का निर्माण भी विधायक का वादा था जिसका सपना जनता तीन दशकों से संजोये हुए थी। यह सपना आज तक पूरा नहीं हुआ।
विधायक कामिनी जिंदल ने चुनाव के समय जनता से कई वादे किए थे। जनता को विश्वास था कि धनाढ्य परिवार से संबंध रखने वाली महिला उम्मीदवार न खाएगी और न ही खाने देगी और कम पड़ेगा तो पल्ले से खर्च कर विकास करवाएगी। मेडिकल कॉलेज का निर्माण भी विधायक का वादा था जिसका सपना जनता तीन दशकों से संजोये हुए थी। यह सपना आज तक पूरा नहीं हुआ।
मेडिकल कॉलेज के निर्माण में इतने पेच आए हैं कि जनता ने अब उसका नाम लेना ही छोड़ दिया। एक तरह से जनता की एक बड़ी मांग फुटबाल की ऐसी गेंद बनकर रह गई जो मैदान में ठोकरें खा रही है, उसे गोल की तरफ जाने की राह नहीं मिल रही। शहर की सडक़ों की हालत देखकर लगता नहीं कि यहां विधायक की बदौलत विकास की गंगा बही होगी।
सबसे बड़ा मुद्दा
मेडिकल कॉलेज / कृषि विद्यालय
सीमावर्ती जिला होने के कारण चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार यहां की जरूरत है और यह जरूरत मेडिकल कॉलेज से ही पूरी हो सकती है। मेडिकल कॉलेज की मांग प्रो.केदार के जमाने से चुनावी मुद्दा बन रही है। कृषि में सिरमौर होने के नाते कृषि विश्वविद्यालय की मांग भी जायज है। यह मांग भी चुनावों में मुद्दा बनी। लेकिन राजनीतिक शून्यता के चलते यह मुद्दा चुनाव तक ही सीमित होकर रह गया है।
मेडिकल कॉलेज / कृषि विद्यालय
सीमावर्ती जिला होने के कारण चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार यहां की जरूरत है और यह जरूरत मेडिकल कॉलेज से ही पूरी हो सकती है। मेडिकल कॉलेज की मांग प्रो.केदार के जमाने से चुनावी मुद्दा बन रही है। कृषि में सिरमौर होने के नाते कृषि विश्वविद्यालय की मांग भी जायज है। यह मांग भी चुनावों में मुद्दा बनी। लेकिन राजनीतिक शून्यता के चलते यह मुद्दा चुनाव तक ही सीमित होकर रह गया है।
क्षेत्र की प्रमुख समस्याएं
शहर के गंदे पानी की निकासी
अतिक्रमण हटाने के बाद सडक़-नालियों का निर्माण नहीं
निजी बसों के लिए बस स्टैंड का अभाव
पार्किंग की व्यवस्था नहीं
जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी
2013 में हार जीत का अंतर
77,860
मत मिले जमींदारा पार्टी की कामिनी जिंदल को
40,792
शहर के गंदे पानी की निकासी
अतिक्रमण हटाने के बाद सडक़-नालियों का निर्माण नहीं
निजी बसों के लिए बस स्टैंड का अभाव
पार्किंग की व्यवस्था नहीं
जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी
2013 में हार जीत का अंतर
77,860
मत मिले जमींदारा पार्टी की कामिनी जिंदल को
40,792
मत मिले भाजपा के राधेश्याम गंगानगर को
37,068
कामिनी की जीत का
अंतर
2013 का चुनाव परिणाम
नाम पार्टी प्रतिशत
कामिनी जिंदल जमीदारा 51.67
राधेश्याम गंगानगर भाजपा 27.07
जगदीश जांदू कांग्रेस 15.21
अशोक कासनिया बसपा 0. 93
नोटा — 0.93
प्रीत कालड़ा निर्दलीय 0.63
श्रीकृष्ण कुक्कड़ जेजीपी 0.59
भगतसिंह जाखड़ निर्दलीय 0.49
राजवीर सिंह निर्दलीय 0.48
राधेश्याम निर्दलीय 0.46
इन्द्राज नायक निर्दलीय 0.40
दुलीचंद नायक निर्दलीय 0.37
राजेन्द्र कुमार अग्रवाल निर्दलीय 0.33
संदीप शर्मा आरजेवीपी 0.19
उमेश कुमार निर्दलीय 0.15
कृष्ण लाल निर्दलीय 0.11
विधायक निधि में खर्च
10 करोड़ 75 लाख पांच साल में उपलब्ध राशि।
प्रशासनिक स्वीकृति 10 करोड़ 75 लाख।
वित्तीय स्वीकृति 10 करोड़ 75 लाख।
विधायक निधि की कोई राशि बची हुई नहीं।
(स्रोत- जिला परिषद श्रीगंगानगर)
37,068
कामिनी की जीत का
अंतर
2013 का चुनाव परिणाम
नाम पार्टी प्रतिशत
कामिनी जिंदल जमीदारा 51.67
राधेश्याम गंगानगर भाजपा 27.07
जगदीश जांदू कांग्रेस 15.21
अशोक कासनिया बसपा 0. 93
नोटा — 0.93
प्रीत कालड़ा निर्दलीय 0.63
श्रीकृष्ण कुक्कड़ जेजीपी 0.59
भगतसिंह जाखड़ निर्दलीय 0.49
राजवीर सिंह निर्दलीय 0.48
राधेश्याम निर्दलीय 0.46
इन्द्राज नायक निर्दलीय 0.40
दुलीचंद नायक निर्दलीय 0.37
राजेन्द्र कुमार अग्रवाल निर्दलीय 0.33
संदीप शर्मा आरजेवीपी 0.19
उमेश कुमार निर्दलीय 0.15
कृष्ण लाल निर्दलीय 0.11
विधायक निधि में खर्च
10 करोड़ 75 लाख पांच साल में उपलब्ध राशि।
प्रशासनिक स्वीकृति 10 करोड़ 75 लाख।
वित्तीय स्वीकृति 10 करोड़ 75 लाख।
विधायक निधि की कोई राशि बची हुई नहीं।
(स्रोत- जिला परिषद श्रीगंगानगर)