2 की जगह 12 मिनट खड़ी रही गाड़ी!
जानकारी अनुसार रविवार सुबह सूरतगढ़ से चलकर श्रीगंगानगर जाने वाली ट्रेन अपने निर्धारित समय 9 बजकर 40 मिनट से करीब आधा घंटा देरी से यहां पहुंची। रुकने के तय समय दो मिनट की बजाय 12 मिनट खड़ी रहने के बावजूद करीब ढाई-तीन सौ यात्री ट्रेन में नहीं चढ़ सके। यात्रियों के मुताबिक ट्रेन में हर डिब्बा पहले ही खचाखच भरा था और परीक्षार्थी युवक दरवाजों पर लटके हुए थे। इससे यात्रियों खासकर महिलाओं व बुजुर्गेां को ट्रेन छोडऩे पर मंजूर करना पड़ा। इसके बाद यात्रियों ने हंगामा कर दिया। उन्होंने स्टेशन मास्टर हंसराज खिरोड़ के समक्ष रोष जताया और टिकट वापस कर रिफंड करने की मांग रखी। एसएम खिरोड़ ने कई यात्रियों को इसी टिकट पर दोपहर वाली गाड़ी से जाने की बात कहते हुए नियमानुसार रिफंड नहीं होने की बात कही।
जानकारी अनुसार रविवार सुबह सूरतगढ़ से चलकर श्रीगंगानगर जाने वाली ट्रेन अपने निर्धारित समय 9 बजकर 40 मिनट से करीब आधा घंटा देरी से यहां पहुंची। रुकने के तय समय दो मिनट की बजाय 12 मिनट खड़ी रहने के बावजूद करीब ढाई-तीन सौ यात्री ट्रेन में नहीं चढ़ सके। यात्रियों के मुताबिक ट्रेन में हर डिब्बा पहले ही खचाखच भरा था और परीक्षार्थी युवक दरवाजों पर लटके हुए थे। इससे यात्रियों खासकर महिलाओं व बुजुर्गेां को ट्रेन छोडऩे पर मंजूर करना पड़ा। इसके बाद यात्रियों ने हंगामा कर दिया। उन्होंने स्टेशन मास्टर हंसराज खिरोड़ के समक्ष रोष जताया और टिकट वापस कर रिफंड करने की मांग रखी। एसएम खिरोड़ ने कई यात्रियों को इसी टिकट पर दोपहर वाली गाड़ी से जाने की बात कहते हुए नियमानुसार रिफंड नहीं होने की बात कही।
जाएं तो जाएं कहां.. स्टेशन पर वार्ड पांच निवासी कैलाश देवी व ममता ने बताया कि अबोहर जाने के लिए उन्होंने श्रीगंगानगर के लिए चार टिकट खरीदे। लेकिन गाड़ी नहीं मिलने से जहां उनको आर्थिक नुकसान हुआ वहीं, अब उन्हें बसों से महंगी यात्रा भी करनी होगी। इसी प्रकार वार्ड 19 निवासी मनोज कुमार, बीरबल राम, मीनू आसवानी, इंदु पोपटानी, गीता, ज्योति, गांव 9 एफएफ बड़ोपल के बिंद्र सिंह, संदीप कौर आदि करीब दो दर्जन यात्रियों ने श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ के लिए खरीदे गए करीब पचास टिकट व्यर्थ जाने की बात कही। उनका कहना था कि पीटीइटी परीक्षा के मद्देनजर रेल प्रशासन को अतिरिक्त डिब्बों का इंतजाम करना चाहिए था। हंगामें के दौरान स्टेशन अधीक्षक रमेश शर्मा भी मौके पर पहुंचे और रेल नियमों की जानकारी देते हुए यात्रियों को शांत कराया।
डीआरएम को होगी शिकायत…
उधर, रेल संघर्ष समिति के संयोजक बलदेव सैन ने घटनाक्रम पर रोष जताते हुए इसे रेल प्रशासन पर कई आरोप लगाए। सैन ने कहा कि करीब छह साल पहले ब्रॉडगेज शुरू होने पर पैसेंजर गाडिय़ों में 12 डिब्बे थे। अब यात्रीभार बढऩे के बावजूद डिब्बों की संख्या घटकर छह या सात रह गई है। उन्होंने कहा कि रेल अधिकारियों की मनमानी के चलते यात्री हर रोज ही भेड़ बकरियों की तरह यात्रा करने को मजबूर हैं। सैन ने कहा कि परीक्षा के मद्देनजर गाड़ी में अतिरिक्त डिब्बे आने चाहिए थे। रेल अधिकारियों की अदूरदर्शिता का खमियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ा। यह सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने ताजा मामले की शिकायत डीआरएम व अन्य उच्चाधिकारियों को भेजने की बात कही।
इनका कहना है..
‘भीड़ के मद्देनजर गाड़ी कुछ अतिरिक्त समय के लिए रुकी। तीस रुपए प्रति टिकट से कम मूल्य की टिकट का रिफंड नहीं दिया जा सकता। गाड़ी से वंचित रहे अधिकांश यात्री श्रीगंगानगर जाने वाले थे और वहां का किराया महज 15 रुपए है।’
हंसराज खिरोड़, स्टेशन मास्टर श्रीकरणपुर।
‘भीड़ के मद्देनजर गाड़ी कुछ अतिरिक्त समय के लिए रुकी। तीस रुपए प्रति टिकट से कम मूल्य की टिकट का रिफंड नहीं दिया जा सकता। गाड़ी से वंचित रहे अधिकांश यात्री श्रीगंगानगर जाने वाले थे और वहां का किराया महज 15 रुपए है।’
हंसराज खिरोड़, स्टेशन मास्टर श्रीकरणपुर।