ऐसा दृश्य जिला मुख्यालय पर रोजाना होता है। रात के समय ऐसे निराश्रित पशु (Destitute animal ) दुर्घटना का सबब बनते है। शहर में घूमने वाले इन बेसहारा पशुओं की समस्याओं से निजात के लिए कैटल फ्री सिटी का मु्द्दा कांग्रेस और भाजपा दोनों प्रमुख दल मानते है लेकिन हल कौन करवाएगा इस बात पर एक दूसरे को अधिकृत बताकर पल्ला झाड़ रहे है। अदालत ने भी कैटल फ्री सिटी करने के लिए निर्णय भी दिया, यहां तक कि श्रीगंगानगर (
Sriganganagar ) विधायक राजकुमार गौड़ और सूरतगढ़ विधायक रामप्रताप कासनियां ने विधानसभा में इन पशुओं की समस्या का मुद्दा भी उठाया। लेकिन समस्या ज्यों की त्यों है।
नगर परिषद के पास एक गौशाला है और दूसरी नंदीशाला। इन दोनों में पशु रखने की क्षमता एक हजार है लेकिन इसकी सिरदर्दी लेने का प्रयास नहीं किया जा रहा है। मिर्जेवाला रोड स्थित नंदीशाला में सवा सौ पशु ही फिलहाल है। शेष पशुओं को जिला प्रशासन के हस्तक्षेप से जिले की अन्य गौशालाओं में शिफ्ट किया जा चुका है। वहीं सूरतगढ़ रोड पर नगर परिषद की गौशाला पर ताला लगा दिया गया है। सात साल पहले जिला प्रशासन ने बेसहारा पशुओं को पकडकऱ उनके रख रखाव के लिए चारे की व्यवस्था के लिए नगर परिषद को बाइस बीघा कृषि भूमि रोटांवाली गांव के पास उपलब्ध कराई थी, इस भूमि का मालिकाना हक भी नगर परिषद को किया जा चुका है।
जबकि शहर में डेढ़ हजार से अधिक आवारा पशुओं की भरमार है। आए दिन दुर्घटना होना सामान्य बात बन चुकी है। तब कलक्टर के आदेश पर पशुओं की हुई थी धरपकड़ हिंसक पशुओं के कारण सडक़ पर दुपहिया संचालित कई चालक अपनी जान से हाथ धो बैठे है। यहां लगा दिया ताला दो साल पहले हनुमानगढ़ रोड और पदमपुर बाइपास रोड पर तीन दिन में तीन बाइक सवार जनों की हिंसक पशुओं से हुई मौत के बाद तत्कालीन जिला कलक्टर के आदेश पर नगर परिषद ने करीब चार सौ आवारा पशुओं को पकडकऱ सुखाडिय़ा सर्किल रामलीला मैदान में रखवाए गए थे, वहां से इनकों राजकीय जिला चिकित्सालय के पास नगर परिषद की गौशाला में शिफ्ट किया गया था।
शहर से आवारा पशुओं को पकडऩे का अभियान फिर शुरू हुआ तो इस गौशाला से पशुओं को मिर्जेवाला रोड स्थित नंदीशाला में शिफ्ट कर दिए और इस गौशाला के गेट पर ताला लगा दिया। अब सिर्फ सवा सौ पशु इस नंदीशाला में वर्तमान में 130 पशु ही रखे गए है।
दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में जब तीन दिन में बारह पशुओं की मौत हुई तो हंगामा हो गया था, नगर परिषद के सहायक लेखाकार और नंदीशाला के प्रभारी मदनलाल डूडी को निलम्बित कर दिया गया था। कलक्टर के आदेश पर इस नंदीशाला में चार सौ पशुओं को जिले की विभिन्न गौशालाओं को सुपुर्द किया गया। हालांकि नगर परिषद के पास रोटांवाली गांव के पास बाइस बीघा कृषि भूमि है। लेकिन परिषद के अधिकारियों इस भूमि पर गौवंश रखने की व्यवस्था तक नहीं की। ऐसे में यह खाली पड़ी है। हर साल दो करोड़ रुपए का भुगतान नगर परिषद प्रशासन ने पूर्व में पकड़े गए पशुओं को हरे चारे और रहने की व्यवस्था के लिए इलाके की दो गौशालाओं दो करोड़ रुपए का भुगतान हर साल कर रही है।
यह बजट नगर परिषद के खजाने से खर्च किया जा रहा है। जबकि हकीकत में शहर में अब भी आवारा पशुओं की समस्याओं से निजात नहीं मिल रही है। नगर परिषद ने यह कभी भी जानने का प्रयास नहीं किया कि जिन गौशालाओं में यह फंड हर महीने जा रहा है वहां उतने पशु है या नहीं।