इन वकीलों के साथ कई मुंशी भी साथ थे, जिन्हेांने वहां मेज और कुर्सियां जानबूझकर रखवाई। इसके साथ साथ मेजों और कुर्सियों पर लोहे की सांकळ से बांध भी दिया ताकि वहां से इनको हटाया नहीं जा सके।
विवाद इतना गहराया कि वहां भीड़ एकत्र हो गई। इसके बाद इन कार्मिकों ने जिला कलक्टर महावीर प्रसाद वर्मा के समक्ष शिकायत की। इन कार्मिकों का कहना था कि आवाजाही के रास्ते में वकीलों की ओर से सरेआम अतिक्रमण किया जा रहा है। इसके बावजूद अधिकारी मूकदर्शक बने हुए है, यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कई अधिवक्ताओं ने कलक्टर कक्ष के बाहर पार्क के अंदर भी कब्जा करने के लिए मेज और कुर्सी लगा ली। सूचना मिलने पर बार संघ की ओर से अधिकृत चुनाव अधिकारी राजीव कौशिक और अजय मेहता ने आकर समझाइश की।
इन दोनों ने चुनाव प्रक्रिया होने तक कोई कब्जा नहीं करने की हिदायत दी, तब यह विवाद थमा। कब्जा इतना कि अब नहीं गुजरती कार कलक्ट्रेट का पहले पुराना गेट कोर्ट की ओर था, तब दोनों गेट से कलक्टर की कार आवाजाही करती थी।
लेकिन वकीलों और अराजनवीसों ने कब्जे शुरू कर दिए। यहां तक कि वहां चैम्बर भी बन चुके है। अतिक्रमण का दायरा कलक्टे्रट के गेट तक पहुंच चुका है लेकिन पिछले दो दशक से कब्जे हटाने के संबंध में एक भी कार्रवाई नहीं हुई है।