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कहीं व्यवस्था बिगाडऩे की कोशिश तो नहीं

locationश्री गंगानगरPublished: Nov 11, 2017 09:32:43 pm

Submitted by:

vikas meel

चिकित्सालय में रोगी चिकित्सकों के अभाव में परेशान हो रहे हैं वहीं मौजूदा परिस्थितियों में चिकित्सालय की व्यवस्थाएं बिगाडऩे का प्रयास नजर आ रहे हैं।

file photo

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श्रीगंगानगर.

जहां एक ओर राजकीय जिला चिकित्सालय में रोगी चिकित्सकों के अभाव में परेशान हो रहे हैं वहीं मौजूदा परिस्थितियों में कई ऐसे सवाल उठ रहे हैं जो चिकित्सालय की व्यवस्थाएं बिगाडऩे का प्रयास नजर आ रहे हैं। इसमें चिकित्सालय प्रबंधन के कई निर्णय भी सवालों के घेरे में हैं। व्यवस्था बनाने के लिए कोई चिकित्सक आगे आ रहा है तो उस पर भी सेवारत चिकित्सक अथवा अन्य चिकित्सा संगठनों की ओर से दबाव बनाने की जानकारी मिल रही है। विभिन्न प्रकार से दबाव डालकर मानदेय पर सेवा देने वाले इन चिकित्सकों को भी सेवा नहीं देने के लिए राजी करने का प्रयास किया जा रहा है।
नहीं दी अधिकारी को लिखित प्रति
सेना के अधिकारी चल कर सरकारी आदेश के तहत सहयोग के लिए आगे आए लेकिन उनसे संबंधित आदेशों की क्रियान्विति कुछ इस तरह से की गई कि इसका लाभ चिकित्सालय को नहीं मिल पाया। चिकित्सालय प्रबंधन ने सेना के डॉक्टरों को तो कार्यग्रहण करने से संबंधित आदेश जारी कर दिए लेकिन पूरी प्रक्रिया में सैन्य अधिकारी की ओर से मांगा गया लिखित पत्र अब तक उपलब्ध नहीं करवाया गया।
डॉक्टर हैं लेकिन ओपीडी में नहीं
दूसरी ओर संविदा पर कार्यरत चिकित्सक वार्डों में तो जा रहे हैं लेकिन ओपीडी में उनकी कहीं उपस्थिति नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब चिकित्सक मौजूद है तो फिर उन्हें ओपीडी में क्यों नहीं लगाया जा रहा। हड़ताल के चलते वैसे भी चिकित्सालय में भर्ती रोगी कम हैं, ऐसे में संविदा पर कार्यरत चिकित्सकों को ओपीडी में लगाकर रोगियों की परेशानी दूर की जा सकती है।
चिकित्सक आए लेकिन नाइट ड्यूटी पर

शुक्रवार को दो सेवारत चिकित्सकों ने ज्वाइन किया। उनमें से एक को शुक्रवार को ही रात की ड्यूटी दे दी गई। ऐसे में शनिवार को दिन में उनकी सेवाएं नहीं मिल पाई। जबकि रात के समय अपेक्षाकृत कम रोगी रहते हैं तथा इस चिकित्सक का उपयोग ओपीडी में किया जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
इन पर भी दबाव
इसके साथ ही खास बात यह है कि यदि कोई चिकित्सक मानदेय पर काम करने के लिए चिकित्सालय आ रहा है तो उन पर भी त्यागपत्र सौंप चुके चिकित्सकों की ओर से दबाव आ रहा है। उनसे भी कार्य नहीं करने के लिए कहा जा रहा है।
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