हर्षप्रीत के पिता छिंदा सिंह मजदूरी करते हैं। ऐसे में परिजन उसके उपचार के लिए ज्यादा कुछ कर भी नहीं पा रहे थे। इसी दौरान हर्षप्रीत के स्कूल में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम पहुंची। बच्ची के हालात देखे तो परिजनों से संपर्क कर उसे इको के लिए जिला मुख्यालय बुलाया। जांच में जन्म से ही उसके दिल में छेद होने की पुष्टि हुई। विभाग ने बच्ची को उपचार के लिए जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल भेजा। जहां उसका ऑपरेशन हुआ और अब वह स्वस्थ है।
कुछ ऐसे ही हालात गांव 19 जैड के दस वर्षीय बलजीतसिंह के थे। वह अक्सर बीमार रहता लेकिन ड्राइवर का काम कर रहे उसके पिता रघुवीरसिंह के आर्थिक हालात ऐसे नहीं थे कि वे उसका उपचार करवा पाते। इसी दौरान आरबीएसके की टीम बलजीत के स्कूल में पहुंची। गंभीर बीमारी की आशंका में जांच करवाई। डाउन सिंड्रॉम और दिल की बीमारी की पुष्टि होने पर जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में उपचार करवाया। दोनों को रविवार को हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गई। आरबीएसके टीम में डॉ. अमित शर्मा के साथ डॉ. नेहा छाबड़ा, डॉ. करिश्मा, कांता व दिव्या शामिल रहे।