ऐसे में रोगी के परिजनों को ठंडे पानी के लिए पूरे हॉस्पिटल को पार कर मुख्य गेट के पास लगे वाटर कूलर तक आना पड़ रहा है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की मुख्य शासन सचिव वीनू गुप्ता ने पिछले महीने चिकित्सालय परिसर में जब आकस्मिक जांच की थी, तब वाटर कूलरों के खराब होने की शिकायत सामने आई थी। उस समय चिकित्सालय प्रबंधन ने इन वाटर कूलरों केा दुरुस्त कराने का दावा किया था। लेकिन बीस दिन बीतने के बावजूद वहां वाटर कूलर अनुपयोगी साबित हो रहे है।
आदेश की पालना नहीं
बीस दिन पहले चिकित्सालय प्रशासन ने एक कमेटी गठित कर वाटर कूलरों की मरम्मत कर वहां ठंडे पानी की सुचारू व्यवस्था बनाने के आदेश किए थे। इसके बावजूद चार खराब पड़े वाटर कूलरों को दुरस्त तक नहीं कराया है। यहां तक कि पांच वाटर कूलरों में पानी की सप्लाई है लेकिन कूलिंग सिस्टम फेल है, इसकी मरम्मत कराने के लिए कमेटी ने भी एक्शन नहीं लिया है। चिकित्सालय की प्रमुख चिकित्सा अधिकारी सुनीता सरदाना ने पिछले महीने आपातकालीन कक्ष के मुख्य गेट बाहर एक नया वाटर कूलर जरूर लगाकर रोगियों के परिजनों को राहत दी है।
विभागों का तालमेल नहीं
पानी के नमूने लेने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अलावा जल संसाधन अभियांत्रिकी विभाग और जिला परिषद की जलप्रदाय योजना के संबंधित अधिकारी जिम्मेदार है। लेकिन इन विभागों का आपसी तालमेल नहीं होने के कारण पानी के नमूने असंतोषजनक पाए जाने के आंकड़े मेल नहीं खाते है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग आंकड़े लेकर अपनी रिपोर्ट बनाने में सीमित है तो वहीं जल संसाधन विभाग और जिला परिषद प्रशासन ने पानी के नमूने फेल होने के संबंध में उसके कारणों पर कभी फोकस नहीं किया है। इसी वजह से जिले में हर साल उल्टी दस्त के रोगियों की संख्या बढ़ रही है।