script12 में से दो वाटर कूलर ही बुझा रहे प्यास, जिला चिकित्सालय के मरीज परेशान | Two of the 12 water coolers are extinguished thirst | Patrika News

12 में से दो वाटर कूलर ही बुझा रहे प्यास, जिला चिकित्सालय के मरीज परेशान

locationश्री गंगानगरPublished: Apr 19, 2018 07:15:30 am

Submitted by:

pawan uppal

-राजकीय चिकित्सालय में मरीजों को रही परेशानी

water cooler in government hospital sriganganagar
श्रीगंगानगर.

तापमान में वृद्धि होने के साथ ही पानी की खपत बढ़ती जा रही है। राजकीय जिला चिकित्सालय में बारह में से दो ही वाटर कूलर में पीने के पानी की व्यवस्था है। शेष दस वाटर कूलर शो-पीस बन कर रह गए है। कई वाटर कूलर में पानी की सप्लाई है लेकिन वहां कूलिंग करने के लिए मोटर ही गायब है तो कइयों की टूंटियां नहीं। जिन भामाशाहों ने अपने पूर्वजों की याद में वाटर कूलर स्थापित करवाया, उसकी मरम्मत कराने के लिए चिकित्सालय प्रबंधन ने चुप्पी साध ली है।
ऐसे में रोगी के परिजनों को ठंडे पानी के लिए पूरे हॉस्पिटल को पार कर मुख्य गेट के पास लगे वाटर कूलर तक आना पड़ रहा है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की मुख्य शासन सचिव वीनू गुप्ता ने पिछले महीने चिकित्सालय परिसर में जब आकस्मिक जांच की थी, तब वाटर कूलरों के खराब होने की शिकायत सामने आई थी। उस समय चिकित्सालय प्रबंधन ने इन वाटर कूलरों केा दुरुस्त कराने का दावा किया था। लेकिन बीस दिन बीतने के बावजूद वहां वाटर कूलर अनुपयोगी साबित हो रहे है।

आदेश की पालना नहीं
बीस दिन पहले चिकित्सालय प्रशासन ने एक कमेटी गठित कर वाटर कूलरों की मरम्मत कर वहां ठंडे पानी की सुचारू व्यवस्था बनाने के आदेश किए थे। इसके बावजूद चार खराब पड़े वाटर कूलरों को दुरस्त तक नहीं कराया है। यहां तक कि पांच वाटर कूलरों में पानी की सप्लाई है लेकिन कूलिंग सिस्टम फेल है, इसकी मरम्मत कराने के लिए कमेटी ने भी एक्शन नहीं लिया है। चिकित्सालय की प्रमुख चिकित्सा अधिकारी सुनीता सरदाना ने पिछले महीने आपातकालीन कक्ष के मुख्य गेट बाहर एक नया वाटर कूलर जरूर लगाकर रोगियों के परिजनों को राहत दी है।

विभागों का तालमेल नहीं
पानी के नमूने लेने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अलावा जल संसाधन अभियांत्रिकी विभाग और जिला परिषद की जलप्रदाय योजना के संबंधित अधिकारी जिम्मेदार है। लेकिन इन विभागों का आपसी तालमेल नहीं होने के कारण पानी के नमूने असंतोषजनक पाए जाने के आंकड़े मेल नहीं खाते है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग आंकड़े लेकर अपनी रिपोर्ट बनाने में सीमित है तो वहीं जल संसाधन विभाग और जिला परिषद प्रशासन ने पानी के नमूने फेल होने के संबंध में उसके कारणों पर कभी फोकस नहीं किया है। इसी वजह से जिले में हर साल उल्टी दस्त के रोगियों की संख्या बढ़ रही है।

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