इस वार्ड के अलावा मातृ शिशु स्वास्थ्य केन्द्र के अधिकांश बैडों की यही हालात है। डिलीवरी केस अधिक होने से पूरी व्यवस्था चरमराने लगी है। चिकित्सालय अधिकारियों की माने तो जच्चा-बच्चा वार्ड और मातृ शिशु स्वास्थ्य केन्द्र में ९३ बैड की व्यवस्था की लेकिन आए दिन वहां १२० से १२५ रोगी वहां भर्ती रहते हैं।
एेसे में जिन लोगों ने कभी चिकित्सालय में पहली बार कदम रखा है, वे व्यवस्था देखकर चिकित्सालय प्रशासन को जमकर कोसते हैं। इनकी निगरानी के लिए स्टाफ भी पर्याप्त नही ंहै। यहां तक कि औसतन दस प्रसूताओं पर एक नर्सिंग स्टाफ है, इसके बावजूद हालात सुधर नहीं रहे।
जच्चा बच्चा वार्ड के पुराने वार्ड की छत खराब होने के कारण इसे स्टोर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, इसके विकल्प में कई बैड तो फीमेल आर्थो वार्ड में शिफ्ट किए गए हैं तो कइयों के लिए अलग से कक्ष में वार्ड का रूप दिया गया है। आठ बैड गैलरी में रखकर वैकल्पिक व्यवस्था की गई है, वेंटीलेशन की व्यवस्था नहीं होने के कारण उमस भरी गर्मी में कूलर-पंखें फेल हो गए हैं।
लगातार बढ़ रही भीड़, रोगियों से अटे वार्ड चिकित्सालय में भर्ती रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। राज्य और केन्द्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के लिए डिलीवरी अधिक होने लगी है। बुधवार को चिकित्सालय के जच्चा-बच्चा वार्ड में ४३ बैड और मातृ शिशु स्वास्थ्य केन्द्र में ५० बैड सहित कुल ९३ बैड के मुकाबले वहां भर्ती महिलाओं की संख्या १५२ तक पहुंच गई, एेसे में हर वार्ड में हाउसफुल जैसी स्थिति थी। प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं के साथ उनके परिजन भी बड़ी संख्या में आ रहे हैं। एेसे में रोगियों के परिजनों को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षाकर्मी भी कम पडऩे लगे हैं।
पचास बैड और आने से मिलेगी राहत
मातृ शिशु स्वास्थ्य केन्द्र का नया भवन बन रहा है। वहां पचास बैड की व्यवस्था होने से राहत मिल सकेगी। रोगी अधिक होने से कई बार एक ही बैड पर दो-दो रोगी भी भर्ती करने पड़ जाते हैं। संक्रमण नहीं फैले, इसके लिए सतर्कता बरती जाती है।
-डॉ.सुनीता सरदाना, पीएमओ, राजकीय जिला चिकित्सालय