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कोरोना को चुनौती देने के लिए बिना संसाधनों के रोगियों की पहचान करने में जुटी पौने दो हजार कर्मवीर ‘आशा ’

locationश्री गंगानगरPublished: Apr 06, 2020 09:47:32 pm

Submitted by:

surender ojha

two thousand karmavir ‘Asha’ to challenge the corona अपनी डयूटी की पक्की आशा सहयोगिनों ने कोरोना वायरस खतरे से मुकाबले के लिए खुद को ढाल लिया है।

कोरोना को चुनौती देने के लिए बिना संसाधनों के रोगियों की पहचान करने में जुटी पौने दो हजार कर्मवीर ‘आशा ’

कोरोना को चुनौती देने के लिए बिना संसाधनों के रोगियों की पहचान करने में जुटी पौने दो हजार कर्मवीर ‘आशा ’

श्रीगंगानगर. घर से निकलने पर पारिवारिक सदस्यों की जुबां पर एक ही सवाल, बाहर कोरोना वायरस का खतरा है। लेकिन अपनी डयूटी की पक्की आशा सहयोगिनों ने किसी भी खतरे से मुकाबले के लिए खुद को ढाल लिया है। डोर टू डोर सर्वे कर यह जानने का प्रयास कर रही है कि कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमण से ग्रस्ति तो नहीं।
यहां तक कि जिले से बाहर आए व्यक्तियों के बारे में पूछताछ करने में संकोच नहीं करती। इस महामारी के संक्रमण खतरे के बीच मुंह पर रूमाल या स्काफ बांधकर सर्वे कर चिकित्सा कर्मियों को बकायदा फीडबैक देती है। रोजाना खतरनाक हो चुके इस कोरोना वायरस को चुनौती दे रही जिले की 1746 आशा सहयोगिन। जिले के प्रत्येक ब्लॉक की इन आशाओं के परिजनों को भी उनकी फील्ड की डयूटी को लेकर चिंता भी है कि यदि कोई कोरोना संक्रमित रोगी मिला तो उसका असर इन पर होगा।
लेकिन शुक्र है कि इलाके में पिछले दस दिनों की समय अवधि में एक भी पॉजीटिव रोगी नहीं मिला। ऐसे कर्मवीर महिला आशाओ के बारे में पत्रिका ने ग्राउण्ड में जाकर पता किया तो यह बात सामने आई कि डयूटी कितनी चुनौतियों से भरी हुई है।
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लॉक डाउन है। ताकि यह संक्रमण एक से दूसरे शहर में नहीं जा सके लेकिन डोर टू डोर सर्वे के दौरान कर्मवीर बनी इन आशाओं को लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग ने इनके कामकाज के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को अधिकृत मानकर अपना झाड़ लिया।
हालांकि मॉनीटरिंग संबंधित आंगनबाड़ी केन्द्र क्षेत्र की महिला पर्यवेक्षक फीडबैक लेती है लेकिन सुविधा देने के नाम पर स्वास्थ्य विभाग का रास्ता बताती है।

इन आशाओं का कहना था कि घर से निकलने से लेकर वापस लौटने तक पूरा परिवार इसी टेंशन में रहता है कि कोई संक्रमण तो लेकर घर नहीं आई। ऐसे में खुद के स्तर पर बचाव के लिए साबुन से हाथ धोने और नहाने का जतन कर रही है। सैनेटाइजर नहीं होने के कारण संक्रमित होने का खतरा जरूर है।
इन आशाओं को आंगनबाड़ी केन्द्र क्षेत्र में रोजाना पचास-पचास घरों का सर्वे करने के लिए पाबंद किया है। ऐसे में किसी परिवारिक सदस्य के संक्रमण की चपेट में डयूटी कर रही इन आशाओं में हो सकता है, यह पहलू चिकित्सा विभाग के अधिकारी भी स्वीकारते है लेकिन सुविधा देने के नाम पर चुप्पी साध लेते हे।
आशा सहयोगिनों का कहना था कि जब उनके साथ एएनएम या अन्य चिकित्सा कार्मिक आते है तो उनके हाथ में दस्ताने, मुंह पर मास्क और बार बार संक्रमण रोकने लिए सैनेटाइजर की सुविधा होती है लेकिन उनको यह सुविधा नहीं मिलती। ऐसी सुविधा मिल जाएं तो वे बेहिचक सर्वे भी कर पाएगी और उनके परिजनों में यह विश्वास भी कायम होगा कि संक्रमण बचाव के लिए सुविधा है।

आशा सहयोगिनों का गणित
ब्लॉक का नाम आशा
श्रीगंगानगर शहरी 148
श्रीगंगानगर ग्रामीण 208
अनूपगढ़ 258
घड़साना 190
श्रीकरणपुर 169
पदमपुर 177
रायसिंहनगर 190
सादुलशहर 131
सूरतगढ़ 275
कुल योग 1746
प्रत्येक ब्लॉक में दस हजार रुपए का बजट कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए फील्ड स्टाफ के लिए प्रत्येक ब्लॉक को दस दस हजार रुपए का बजट उपलब्ध कराया गया है। सैनेटाइजर, मास्क और दस्ताने की खरीद के लिए यह बजट दिया था, इसके बावजूद यदि कोई वंचित है तो तत्काल सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी से फीडबैक लिया जाएगा।
– डा.गिरधारीलाल, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी श्रीगंगानगर
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