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यह कैसा निर्माण: ठेके फर्म को भुगतान करने के लिए यूआईटी ने अब दिखाई दरियादिली

locationश्री गंगानगरPublished: Oct 06, 2019 11:02:51 pm

Submitted by:

surender ojha

What kind of constructionसर्विस रोड पर लगानी थी रैलिंग, अठारह माह बाद डिवाइडर पर लगाने को दी मंजूरी.

यह कैसा निर्माण:  ठेके फर्म को भुगतान करने के लिए यूआईटी ने अब दिखाई दरियादिली

यह कैसा निर्माण: ठेके फर्म को भुगतान करने के लिए यूआईटी ने अब दिखाई दरियादिली

श्रीगंगानगर। सूरतगढ़ रोड नेशनल हाइवे पर शिव चौक से राजकीय जिला चिकित्सालय तक सर्विस रोड निर्माण की फाइल अब दुरुस्त कराई जा रही है। ठेका फर्म से यूआईटी अब लोहे की रैलिंग लगाने के बारे में आदेश किया तो उसने डिवाइडर पर यह रैलिंग लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
पिछले साल मार्च में नगर विकास न्यास के तत्कालीन अध्यक्ष संजय महिपाल ने इस सर्विस रोड निर्माण का शिलान्यास किया था। तब दावा किया गया था कि यह रोड एक महीने में बन जाएगी। इसके साथ साथ दुकानों के आगे रैलिंग भी लगेगी ताकि सर्विस रोड पर राहगीरों के लिए भवन निर्माण सामग्री बेचने वाले दुकानदार बाधा ना डाले लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हुआ।
चंद दुकानदारों के विरोध पर यूआईटी का प्रशासन बैकफुट पर आ गया और आनन फानन में ठेकेदार से यह रैलिंग नहीं लगाने के मौखिक आदेश कर दिए। इस बीच किसी ने सर्विस रोड के बीच आने वाले हरे पेड़ काटने के संबंध में अनुमति नहीं होने के कारण वन विभाग से शिकायत कर दी। वन विभाग ने इस निर्माण को अनुमति आने तक रोक दिया। ऐसे में सडक़ निर्माण अटक गया।
जैस तैसे ठेकेदार ने हनुमानजी की मूर्ति तक सडक के दोनों ओर इंटरलोकिंग टाइल्स बिछाने का काम कर दिया लेकिन इसकी उपयोगिता अब तक नहीं हो पाई है।
वन विभाग से अनुमति मिली तब तक ठेकेदार ने हनुमानजी की मूर्ति तक सडक के दोनों ओर इंटरलोकिंग टाइल्स बिछाने का काम कर दिया लेकिन इसकी उपयोगिता अब तक नहीं हो पाई है।
यूआईटी ने हाइवे के दोनों साइडों में इस सर्विस रोड पर 66-66 कुल एक करोड़ 32 लाख रुपए बजट का प्रावधान रखा था। इस रोड पर ट्रकों सहित भारी वाहनों ने अस्थायी पार्किग बना दी है। रही कही कसर भवन निर्माण सामग्री बेचने वाले दुकानदारों ने पूरी कर दी है। कलक्टर के आदेश पर पिछले एक साल में एक बार ही यूआईटी का अमला अतिक्रमण साफ करने के लिए इस रोड पर पहुंचा लेकिन वहां दुकानदारों को नसीहत देकर वापस लौट आया।
सर्विस रोड राहगीरों से ज्यादा अस्थायी मार्केट लगाने वालों के लिए अधिक फायेदमंद साबित हुई है। संडे मार्केट के नाम से पुराने दुपहिया बेचने वालों का बाजार हर रविवार को लगता है। पिछले साल तक टैंट लगाने के एवज में संडे मार्केट के आयोजक नगर परिषद से अनुमति लेकर करीब पांच सौ रुपए का शुल्क जमा कराते थे लेकिन इस साल यह प्रावधान भी खत्म हो गया है।
आयोजक भी स्वीकारते है कि अब उनके पास नगर परिषद का अमला नहीं आता। मंदी दौर की बात कहकर आयोजक इस मार्केट को मजबूरी में लगाने का दावा कर रहे है। इसी रोड पर रेता, बजरी, ग्रिट रखकर कई दुकानदार रोजाना हजारों रुपए कमा रहे है।
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