scriptVideo : यूआईटी अफसरों और कार्मिकों को जांच में माना दोषी | uit office and employee found guilty in investigation | Patrika News
श्री गंगानगर

Video : यूआईटी अफसरों और कार्मिकों को जांच में माना दोषी

नगर विकास न्यास भी भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग आरोपों से अछूता नहीं रहा है।

श्री गंगानगरNov 12, 2017 / 07:50 pm

vikas meel

uit office

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श्रीगंगानगर।

नगर विकास न्यास भी भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग आरोपों से अछूता नहीं रहा है। कॉमर्शियल पट्टा नहीं बनाने के मामले की शिकायत पर जब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की श्रीगंगानगर चौकी ने जांच की तो तत्कालीन दो सचिव समेत पांच कर्मियों को पद का दुरुपयोग, षडयंत्रपूवक कार्य करके वाणिज्यिक पट़टा नहीं बनाने का दोषी माना लेकिन राज्य सरकार ने पिछले चार साल से इन कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए अभियोजन स्वीकृति नहीं दी है। इस कारण एसीबी टीम ने चालान अदालत में पेश नहीं कर पाई है।

 

ऐसे मे शिकायकर्ता ने भ्रष्टाचार निवारण मामलों की यहां स्पेशल कोर्ट में इन अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ दायर इस्तगासे में सुनवाई के दौरान जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करने का आग्रह किया लेकिन अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने से यह मामला अटका हुआ है। एसीबी के तत्कालीन एडशिनल एसपी लक्ष्मण सांखला ने 24 पृष्ठों की अपनी जांच रिपोर्ट में नगर विकास न्यास के तत्कालीन सचिव खजान सिंह, तत्कालीन सचिव अशोक यादव, न्यास के वरिष्ठ लिपिक रमेश नागपाल, कनिष्ठ लिपिक श्रीकृष्णलाल लाटा और सर्वेयर लाजपत शामिल है। इनके खिलाफ पीसी की धारा 13 की उपधारा 1 सी, 13 दो, आईपीसी की धरा 120 बी में अपराध पंजीबद्ध किया जाना उचित माना था। इस रिपोर्ट को ब्यूरो मुख्यालय भिजवाया और इसकी एक कॉपी एसीबी कोर्ट में भी पेश की।

 

यह था मामला


वरिष्ठ नागरिक के ब्लॉक निवासी राधेश्याम गोयल ने नगर विकास न्यास में चक 1 ए छोटी में अपना भूखण्ड का कॉमर्शियल पट्टा बनाने के लिए 19 नवम्बर 2005 को आवेदन किया था। लेकिन चक्कर कटवाने के बावजूद उसका पट्टा नहीं बनाया। न्यास का कहना था कि मास्टर प्लान के कारण कम चौड़ी सडक़ पर पट्टा नहीं बन सकता लेकिन इस भूखण्ड के आसपास अन्य भूखण्डों का पट्टे बन गए तो उसने दुबारा आवेदन किया, उसके बावजूद भी उसे मालिकाना हक नहीं मिला। आखिर में उसने बीकानेर एसीबी कोर्ट में न्यास के तत्कालीन सचिव अशोक यादव, खजान सिंह, जन अभाव अभियोग सत्तर्कता समिति के सचिव उम्मेद सिंह, एक्सईएन सुषमा रस्तोगी, नियमन शाखा प्रभारी रामकुमार डूडी, वरिष्ठ लिपिक रमेश नागपाल, ट्रेसर रजीराम, पटवारी रामनिवास, सर्वेयर लाजपत, वरिष्ठ लिपिक श्रीकृष्ण कुमार लाटा और महेन्द्र के खिलाफ इस्तगासा किया था। इस इस्तगासे केआधार पर एसीबी की श्रीगंगानगर चौकी ने जांच की थी।

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