वहीं अधिकांश चौपहिया वाहन चालकों ने जिला मुख्यालय से छह किमी दूर स्थित पंजाब में अबोहर रोड के पंपों पर जाकर पेट्रोल डीजल भरवाया। यह हड़ताल गुरुवार सुबह छह बजे तक रहेगी। पंजाब से करीब नौ रुपए और जयपुर से करीब सवा तीन रुपए डीजल जिले में महंगा बिक रहा है। पंजाब में टैक्स कम होने के कारण डीजल नौ रुपए सस्ता मिल रहा है, इस वजह से पंजाब से रोजाना डीजल करीब दो लाख लीटर का परिवहन होता है। इसके लिए जिला रसद विभाग ने रोकने में नाकाम रहा है।
जिला पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन जिलाध्यक्ष आशुतोष गुप्ता ने बताया कि यदि राज्य सरकार उनके प्रस्ताव को मान लेती है तो पेट्रोल-डीजल के परिवहन को पूल एकाउंट में शामिल करने से जिले में साढ़े तीन रूपये प्रति लीटर का अंतर समाप्त हो जाएगा। पेट्रोल-डीजल पर 2.13 रूपये रोड सेस लगाया गया है, जो नाजायज हैं। श्रीगंगानगर में पेट्रोल-डीजल की दरें पड़ोसी राज्य पंजाब की तुलना में बहुत अधिक हैं।
पड़ोसी राज्य पंजाब जिसकी श्रीगंगानगर से दूरी मात्र छह किलोमीटर है। यहाँ पर पेट्रोल की दर में 7.10 रूपये तथा डीजल की दर में 9.04 रूपये प्रति लीटर का भारीभरकम अंतर है। इस कारण वर्तमान समय में पूरे देश में सबसे महंगा पेट्रोल और डीजल श्रीगंगानगर जिले की जनता खरीदने के लिए मजबूर है।अधिकांश पंप बंद होने के कगार पर इस कारण एक तरफ जहाँ उपभोक्ताओं का आर्थिक शोषण हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के पड़ोसी राज्यों से पेट्रोल-डीजल की अवैध तस्करी होने के कारण जिले के पेट्रोल पम्पों का व्यवसाय ठप्प हो गया है।
रसद विभाग भी चुप्प, कौन ले पंगा
रसद विभाग भी कानूनी कायदों के कारण अब पंजाब से रोजाना आ रहे पेट्रोल-डीजल के परिवहन पर रोक नहीं लगा रहा है। ऐसे परिवहन कर रहे वाहन को रोकने के दौरान अधिकारियों पर राजनीतिक दवाब आ जाता है। ऐसे में कार्रवाई नहीं हो पाती। रही कही कसर कानूनी पहलूओं ने पूरी कर दी है। रसद अधिकारियों की माने तो अब ढाई हजार लीटर डीजल या पेट्रोल कोई भी व्यक्ति या वाहन अपने पास रख सकता है। कुछ अर्सा पहले रसद विभाग की ओर से राजस्थान पेट्रोल प्रोडेक्ट नियम के माध्यम से एक हजार से अधिक डीजल या पेट्रोल रखने पर कार्रवाई करता था लेकिन हाईकोर्ट ने इस कानून को बदल दिया है। यदि ढाई हजार से अधिक पेट्रोलियम पदार्थ ला रहा है और उसके खिलाफ कार्रवाई की जातीहै तो जब्त किया गया डीजल या पेट्रोल को किसको सुपुर्दगी पर दिया जाएं, इलाके के पंप सीधे ऑयल कंपनियों से ऑनलाइन जुड़े हुए है।
रसद विभाग भी चुप्प, कौन ले पंगा
रसद विभाग भी कानूनी कायदों के कारण अब पंजाब से रोजाना आ रहे पेट्रोल-डीजल के परिवहन पर रोक नहीं लगा रहा है। ऐसे परिवहन कर रहे वाहन को रोकने के दौरान अधिकारियों पर राजनीतिक दवाब आ जाता है। ऐसे में कार्रवाई नहीं हो पाती। रही कही कसर कानूनी पहलूओं ने पूरी कर दी है। रसद अधिकारियों की माने तो अब ढाई हजार लीटर डीजल या पेट्रोल कोई भी व्यक्ति या वाहन अपने पास रख सकता है। कुछ अर्सा पहले रसद विभाग की ओर से राजस्थान पेट्रोल प्रोडेक्ट नियम के माध्यम से एक हजार से अधिक डीजल या पेट्रोल रखने पर कार्रवाई करता था लेकिन हाईकोर्ट ने इस कानून को बदल दिया है। यदि ढाई हजार से अधिक पेट्रोलियम पदार्थ ला रहा है और उसके खिलाफ कार्रवाई की जातीहै तो जब्त किया गया डीजल या पेट्रोल को किसको सुपुर्दगी पर दिया जाएं, इलाके के पंप सीधे ऑयल कंपनियों से ऑनलाइन जुड़े हुए है।
इन पंपों के टैंक में एक लीटर एक्सट्रा डालने पर ऑयल कंपनियां संबंधित पंप संचालक से जवाब मांगती है। ऐसे में जब्त किया गया डीजल या पेट्रोल मिलावटी है तो संबंधित पंप संचालक अपने पंप के टैंक में डाल नहीं सकता। दूसरी ओर से बैरल प्वाइंट खत्म होने पर जब्त डीजल या पेट्रोल को सुपुर्द करने की टेंशन रहती है। इस जब्तशुदा डीजल या पेट्रोल को राजसात किए जाने के बाद बेचान करने पर यदि कीमत यदि तीन लाख रुपए से अधिक है तो रसद विभाग के मुख्यालय से अनुमति लेने पड़ती है।
वहीं अवैधपरिवहन करने के दौरान बोगस ग्राहक बनाने पड़ते है, इस बोगस ग्राहक को डीजल या पेट्रोल खरीदने के लिए राशि कौन देगा, यह दुविधा है। केस बना भी दिया जाएं तो संबंधित बोगस ग्राहक कोर्ट में पक्षद्रोही हो जाएं तो संबंधित पक्षकार जांच दल के खिलाफ मानहानि जैसा कदम उठा सकता है।