श्रीजम्भेश्वर पर्यावरण एवं जीव रक्षा प्रदेश संस्था के अध्यक्ष भंवरलाल भांभू के नेतृत्व में आए नागरिकों ने कहा कि भारतीय संस्कृति में पीपल को देववृक्ष का दर्जा दिया गया है। पुरातन ग्रंथों व पुराणों में पीपल को ब्रह्म का स्वरूप बताने के साथ इसमें भगवान विष्णु का वास बताया गया है। वहीं दूसरी ओर पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार की ओर से अभियान चलाकर हरियाली बढ़ाने व अधिकाधिक पौधरोपण का आह्वान किया जा रहा है।
लेकिन नगरपालिका प्रशासन ने इसके विपरीत वहां परिसर में खड़े करीब सौ वर्ष पुरानी धरोहर पीपल के दो विशालकाय पेड़ों को काटकर धार्मिक आस्था पर चोट की है। यह एक जघन्य अपराध होने के साथ असहनीय है। ज्ञापनदाताओं ने मामले में नगरपालिका प्रशासन पर कठोर कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि वे इस मामले में चुप नहीं रहेंगे। मौके पर संस्था के सचिव पूर्व पार्षद सुभाष बिश्नोई, संदीप गोयल, अधिवक्ता अजय बिश्नोई, अधिवक्ता सुरेश अग्रवाल, रामचंद्र शर्मा, पूर्व पार्षद रणवीरसिंह राठौड़ सहित अन्य नागरिक मौजूद थे।
नगरपालिका के नए भवन निर्माण में पीपल के कुछ तने आड़े आ रहे थे। इसलिए इन्हें काटना पड़ा। पेड़ों के मुख्य तने को नहीं हटाया गया है। कस्बे को हरा-भरा बनाने के लिए नगरपालिका प्रतिबद्ध है। पर्यावरण सुरक्षा व संरक्षण की दृष्टि से शीघ्र ही पालिका क्षेत्र में पांच लाख रुपए की लागत से पौधरोपण प्रस्तावित है। इसके लिए निविदा निकाल दी गई है। पीपल सहित अन्य सैंकड़ों पौधे लगाए जाएंगे।