श्री गंगानगर

Video: अब भांखड़ी का कांटा भी बिकने लगा, कांटे बन गए फूल

खरपतवार को किसान बाहर निकालकर फेंकता है

श्री गंगानगरMay 12, 2018 / 01:28 pm

सोनाक्षी जैन

sriganganagar agriculture news in hindi

मिर्जेवाला. खेत जाते समय अक्सर पैरों में भांखड़ी का कांटा लग जाने के बाद वह कांटा कई दिनों तक जलन किया करता था लेकिन उस भांखड़ी खरपतवार को किसानों ने कीटनाशक दवाओं के छिड़काव से उसको खत्म करने के कगार पर पहुंच गए हैं। लेकिन यह भांखड़ी कांटेदार भले ही है। लेकिन यह दवाई के रूप में काम आने के कारण रामबाण साबित हो रही है। यह भांखड़ी खरपतवार ऐसी है। जो किसान अपने खेत से उखाड़ कर रास्ते पर फेंककर उसको जला नष्ट करता है।
 

उसके खेत में यह भांखड़ी दुबारा पैदा ना हो लेकिन यह भांखड़ी कांटो की जगह फूल की तरह बिकने लगी है। इस बात का शायद कुछ लोगों को पता हो लेकिन यह हकीकत है। की आयुर्वेदिक दवाइयों में इसका काम आने के कारण अब कुछ लोग इस को इकट्ठा करके बेचने के लिए ले जाने लगे हैं। पंजाब के कुलार गांव से आए भुपनाथ, पूर्ण राम ,जसवंत ,संदीप गेरी आदि पिछले 10- 15 दिनों से मिर्जेवाला गांव के अंदर खाली मैदान में अपना डेरा लगाए हुए हैं। यह लोग दिनभर खेतों में भांखड़ी की तलाश में रहते हैं।
 

दिन भर कितनी भी भांखड़ी होती है। उसको सूखने के लिए रख देते हैं। इसके बाद इसके कांटे व पत्तियां अलग करके बोरो में रख लेते हैं। पंजाब के कुलार गांव से आए भुपनाथ ने बताया कि यह भांखड़ी के कांटे हम अमृतसर में मंडी में जाकर ₹18 प्रति किलो के हिसाब से बिकती है।व पत्तियां ₹2 किलो के से बेचते हैं। इस परिवार ने बताया है।
 

हमें यह खरपतवार जहां भी मिलती है। हम इसको उखाड़ने के लिए पहुंच जाते हैं। और अपनी मजदूरी करते हैं। उन्होंने बताया किस काम में मेहनत है लेकिन कमाई भी है। इनको इस काम को करते देख कर लोगबाग आकर इनके काम के बारे में पूछ भी रहे हैं। उन्होंने बताया है कि यह आयुर्वेदिक दवाई में काम ली जाती है।

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