श्रीगंगानगर आज राज्य के सबसे समृद्ध जिलों में से एक माना जाता है। प्रदेश के धान का कटोरा कहलाने वाला यह जिला शुरुआत से ऐसा नहीं था। कभी यहां वनस्पति के नाम पर केवल रेगिस्तानी वनस्पतियां ही थी। वर्ष 1927 में यहां सतुलज नदी का पानी नहर के माध्यम से लाकर शहर के संस्थापक महाराजा गंगासिंह ने इसे सरसब्ज करने की राह दिखा दी। तब से आज तक यह शहर उत्तरोतर प्रगति करता रहा।......सभी फोटो -राजेन्द्रपालसिंह निक्का व रामकिशन सिंगाठिया
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श्रीगंगानगर आज राज्य के सबसे समृद्ध जिलों में से एक माना जाता है। प्रदेश के धान का कटोरा कहलाने वाला यह जिला शुरुआत से ऐसा नहीं था। कभी यहां वनस्पति के नाम पर केवल रेगिस्तानी वनस्पतियां ही थी। वर्ष 1927 में यहां सतुलज नदी का पानी नहर के माध्यम से लाकर शहर के संस्थापक महाराजा गंगासिंह ने इसे सरसब्ज करने की राह दिखा दी। तब से आज तक यह शहर उत्तरोतर प्रगति करता रहा।......सभी फोटो -राजेन्द्रपालसिंह निक्का व रामकिशन सिंगाठिया
श्रीगंगानगर आज राज्य के सबसे समृद्ध जिलों में से एक माना जाता है। प्रदेश के धान का कटोरा कहलाने वाला यह जिला शुरुआत से ऐसा नहीं था। कभी यहां वनस्पति के नाम पर केवल रेगिस्तानी वनस्पतियां ही थी। वर्ष 1927 में यहां सतुलज नदी का पानी नहर के माध्यम से लाकर शहर के संस्थापक महाराजा गंगासिंह ने इसे सरसब्ज करने की राह दिखा दी। तब से आज तक यह शहर उत्तरोतर प्रगति करता रहा।......सभी फोटो -राजेन्द्रपालसिंह निक्का व रामकिशन सिंगाठिया
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