तीन राज्यों की पुलिस, एक माह बीता और अंकित का सुराग नहीं
बताया गया है कि श्रीगंगानगर से जयपुर-कोटा एक्सप्रेस में गए ट्रेन कैप्टन को एक रेल अधिकारी ने देर रात बर्थ पर आराम करते हुए देखा। उसे बताया गया कि कोच के नीचे से तेज आवाजें आ रही हैं, इसलिए वह एक्सप्रेस के गार्ड को मोबाइल फोन के जरिए इतला देकर ट्रेन को रुकवाए ताकि इसकी जांच की जा सके। जब ट्रेन कैप्टन ने संबंधित अधिकारी का परिचय लिया तो उसकी हवा खिसक गई। इस दौरान सामने आया कि ट्रेन कैप्टन के पास गार्ड के मोबाइल फोन का नंबर ही नहीं था। टे्रन कैप्टन को अगले दिन ड्यूटी से वापस आने पर बीकानेर तलब किया गया।
शिकायतों का मौके पर ही निस्तारण करेगा कैप्टन
यहां यह उल्लेखनीय है कि ट्रेन कैप्टन अपने बाजू पर लालरंग की पट्टी बांधेगा। इस पर उत्तर-पश्चिमी रेलवे और टे्रन कैप्टन लिखा होना जरूरी है। ट्रेन कैप्टन के पास गार्ड टीटीई और पायलट आदि के मोबाइल फोन के नंबर होने चाहिए ताकि वह जरूरत पडऩे पर उनसे संपर्क कर सके। ‘कैप्टन’ पर ट्रेन में यात्रियों की हर प्रकार की शिकायत को सुनकर मौके पर ही समाधान करने का दायित्व सौंपा गया है। ‘टे्रन कैप्टन’ कोच में एसी, पंखें, लाइट, बेडरोल और शौचालय में सफाई से संबंधित यात्रियों की शिकायतों को सुनकर उनका निराकरण करवाने का प्रयास करेंगे।