इन टैंकों के एनओसी से पहले ही ठेकेदारों को पचास प्रतिशत भुगतान करने के लिए नगर परिषद प्रशासन ने दरियादिली दिखा दी है। जिस मंशा के लिए इन टैंकों का निर्माण कराया गया, वे अब जमींदोज हो रहे है। परिषद के अभियंताअेां ने राज्य सरकार से बिल उठाने के लिए फाइल को पास कर दिया। सरकारी भवन परिसर में खाली भूमि देख वहां गड्ढा खोदा और उसे होद का नाम दे डाला। जिला मुख्यालय पर ऐसे 22 अलग-अलग सरकारी महकमों में मुख्यमंत्री शहरी जल स्वावलंबन योजना के तहत वाटर टैँकों पर एक करोड़ रुपए का बजट राज्य सरकार ने डीएलबी के माध्यम से नगर परिषद को किया है।
यहां-यहां बनाए गए है वाटर टैँक
जिला कलक्ट्रेट कैम्पस, चौधरी बीआर गोदारा कन्या महाविद्यालय, मटका चौक राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, मीरा चौक के पास समाज कल्याण छात्रावास, मौसम विभाग, अग्रसेननगर चौक के पास सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता कार्यालय कैम्पस, मल्टीपरपज स्कूल कैम्पस, पुरानी आबादी रवि चौक के पास राजकीय स्कूल नम्बर 9 कैम्पस, पुरानी आबादी आयुर्वेदिक औधालय, यूआईटी कैम्पस, पुलिस लाइन, राउमावि नम्बर चार, राउमावि नम्बर दो, सदर थाना, फायर बिग्रेड कैम्पस, राउप्रावि नम्बर आठ, नगर परिषद कैम्पस, जीपीएफ ऑफिस कैम्पस,जिला पुस्तकालय परिसर, एसपी ऑफिस परिसर, सीएमएचओ ऑफिस परिसर, बीआर अम्बेडकर राजकीय महाविद्यालय, कोतवाली थाना कैम्पसमें इस योजना के तहत वाटर टैँक बनाए जा चुके है। इनमें किसी में भी बरसाती पानी को संग्रहित नहीं किया जा रहा है।
चेहतों को बांट दिया ठेका
सरकारी विभागों में मुख्यमत्री शहरी जल स्वावलंबन योजना में बन रहे टांकों के निर्माण कार्यो के लिए जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने अपने करीबी लोगों को ठेका देने में देर नहीं की। पार्षदों की माने तो इसके पीछे परिषद की निर्माण शाखा की मंशा थी कि पुरानी फाइलों का जिक्र नहीं किया जाएं। ऐसा हुआ भी है। सात ऐसी जगहों पर वाटर टैंक बनाए गए है जहां बिल तो सात से आठ लाख रुपए का बना है लेकिन वहां खर्च महज ढाई लाख रुपए की लागत आई है।