कई कार्यकर्ताओं ने इसकी शिकायत महिला पर्यवेक्षको से की है तो कई कार्यकर्ताओं को चुप रहने की नसीहत भी मिली है। इन कार्यकर्ताओं ने पोषाहार के वितरण में कटौती कर दी है ताकि सभी लाभाविंत को बराबरी का पोषाहार मिल सके।
कई कार्यकर्ताओं ने अपने नाम नहीं बताने की शर्त पर यह खुलासा किया है। इन महिलाओं का कहना है कि संबंधित अधिकारी और ठेकेदारों ने गेहूं, चावल और दाल के कट्टों का वजन नहीं कराया और सीधे ही आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पहुंचाकर खानापूर्ति कर ली।
लेकिन केन्द्रों पर लाभार्थियों ने पूरे वजन के अनुरुप यह पोषाहार की जिद्द कर दी। इस कारण अधिकांश आंगनबाड़ी केन्द्रों पर इन पोषाहार का वितरण रोक दिया गया। इसकी शिकायत महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों से की गई है।इन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब तक विभाग के अफसर इस पोषाहार का सत्यापन नहीं करेंगे तब तक इसका लाभार्थियेां को वितरित नहीं किया जाएगा।
इधर, विभागीय कार्मिकों ने भी यह पहलू को दबाने का प्रयास किया है। महिला एवं बाल विकास विभाग की गाइड लाइन के अनुसार सात माह से लेकर छह साल आयु वर्ग के बच्चों के लिए सवा किलोग्राम गेहूं, सवा किलोग्राम चावल और दो किलो दाल दी जा रही है।
जबकि एक दिन से लेकर छह माह तक बच्चों, धात्री और गभर्वती महिलाओं को डेढ़ किलो चावल, डेढ़ किलो गेहूं और तीन किलोग्राम दाल देने का प्रावधान है। गेहूं और चावल के कट्टे से सप्लाई होती है जबकि दाल के एक एक किलोग्राम के बंद पैकेट दिए जा रहे है। पचास फीसदी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर वजन तौलने की मशीन नहीं है, इसके बावजूद अंदाजे से पोषाहार के बिल बनाए जा रहे है।
इस बीच श्रीगंगानगर शहर के सीडीपीओ अनिल कामरा का कहना है कि यह सही बात है कि काफी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पहुंचे पोषाहार के वजन में कमी है। शिकायत मिलने पर महिला सुपरवाइजरों से रिपोर्ट मांगी है। जिन जिन केन्द्रों पर कम वजन का पोषाहार आया है, इसके संबंध में पूरी रिपोर्ट बनाकर उपनिदेशक को भिजवाई जा रही है। यह भी सही है कि कई केन्द्रों पर वजन तौलने की मशीन नहीं होने के कारण कार्यकर्ताओं को पोषाहार का वजन लेने में परेशानी आ रही है, यह समस्या गंभीर है। सत्यापन रिपोर्ट संतोषजनक होने पर ही संबंधित ठेका फर्म को बिल के लिए अनुमति दी जाएगी।