सड़कों पर इतना ट्रैफिक था कि ट्रैफिक कर्मियों को सामान्य दिनों से दुगुना पसीना बहाना पड़ा, इसके बावजूद लोगों में कोरोना का भय नजर नहीं आया। शहर के व्यस्तम इलाकों में आवाजाही इतनी अधिक थी कि एेसा लगा नहीं कि कोरोना को लेकर सरकर की ओर से कफर्यू चल रहा है। बाजार में चुनिंदा दुकानें खुली थी लेकिन लोगों की आवाजाही का दौर थमा नहीं बल्कि दुुगुना हो गया।
जिला प्रशासन की ओर से कफ्र्यू की पालना कराने के लिए निषेधाज्ञा भी जारी की हुई है लेकिन लोगों ने इस निषेधाज्ञा को खूंटी पर टांग दिया। सूरतगढ़ रोड पर राजकीय जिला चिकित्सालय से लेकर शिव चौक तक, इस चौक से चहल चौक, वहां से मीरा चौक, इस चौक से सुखाडि़या सर्किल, इस सर्किल से बीरबल चौक तक, वहां से कोडा चौक और वहां से शहीद उधमसिंह चौक तक लोगों की भीड़ थम नहीं रही है।
इस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अधिकारियों की टीमें सड़कों पर आई नहीं। इससे लोगों के हौसले इस कदर बढ़ गए कि जहां देखों वहां भीड़ ही भीड़ नजर आ रही थी। शहर के एंट्री प्वाइंटों पर पुलिस का पहरा नजर नहीं आया। रूटिन की चैकिंग नहीं होने के कारण लोगों ने इसका खूब फायदा उठाया।
जिसके मन में आया वह अपने घर से बाहर निकला। जिम्मेदार अधिकारी अपने कार्यालयों में बैठकर मीटिंग की औपचारिकताएं करते नजर आए। चहल चौक और रवीन्द्र पथ पर मिठाई की दुकानें भी खुल गई। यहां तक कि ज्यूस बेचने वालों की रेहडि़यां भी धड़ल्ले से लगी। सब्जी मंडी में भी कोरोना को लेकर कोई भय दिखाई नहीं दिया। यहां हर दुकान खुली थी और सामान्य दिनों की तरह महावीर दल मंदिर वाली गली में रेहडि़यों की कतारें लगी हुई थी।
लोगों की भीड़ भी पहले की तरह चल रही थी। इधर, ट्रेक्टर मार्केट में भी कई वर्कशॉप भी खुले। कोर्ट कैम्पस के बाहर चाय की थड़ी पर चाय की चुस्की लेते लोग जमे हुए थे। इधर, नगर परिषद में एक अधिकारी और एक बाबू कोरोना पॉजीटिव आए है। रिपोर्ट आते ही पूरे नगर परिषद परिसर में खलबली मच गई।
हालांकि इस कार्यालय को बंद कर दिया गया लेकिन इसके बावजूद भी कई कार्मिक अपनी सीटों पर बैठे नजर आए। इधर, आयुक्त सचिन यादव ने बताया कि कोरोना संक्रमित हुए एक अधिकारी और एक बाबू का उपचार चल रहा है। इन दोनों के संपर्क में आए कार्मिकों की कोरोना जांच कराई गई है। आयुक्त की खुद की रिपोर्ट भी नेगेटिव आई है।