कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सफेद मक्खी तेज उड़ने वाला, पीले शरीर और सफेद पंख का कीट है। यह कीट हवा की दिशा में आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर चला जाता है। इस कीट की प्रौढ़ मादा अपने जीवन काल में 100-125 अण्डे देती है। अण्डे पत्तियों की निचली सतह पर दिए जाते हैं।
इसके अण्डाकार शिशु पत्तों की निचली सतह पर चिपके रह कर रस चूसते रहते हैं और एक चिपचिपा पदार्थ उत्पन्न करते हैं, जिसे हनीड्यू कहा जाता है। इसके कारण पौधों में फंगस की बीमारी हो जाती है। सफेद मक्खी से ग्रसित पौधे पीले व तैलीय दिखाई देते हैं एवं पौधों की पत्तियां सिकुड़ कर मुड़ने लगती हैं। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे उपज एवं उत्पाद की गुणवत्ता में कमी आती है। सफेद मक्खी लीफकर्ल वायरस जैसे विषाणु को फैलाने में यह वेक्टर के रूप में कार्य करती है।
क्या करें किसान
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ.जीआर मटोरिया ने बताया कि कपास में समय पर सफेद मक्खी पर नियंत्रण के उपाय नही अपनाए जाएं तो उत्पादन में अत्यधिक कमी हो सकती है। बारिश के पानी से फसल को गलन से बचाने के लिए पानी की निकासी करते रहें।