वह अपने निदेशालय को बजट प्रस्ताव भेज चुकी, बीएसएनएल मंडी में आकर मौका मुआयना कर चुका। वाई-फाई के लिए अलग से लीज लाइन डालने की मौखिक मंजूरी अपनी तरफ से दे चुका, उसने कहा है कि वह आदेश मिलने के 30 दिन के भीतर काम पूरा कर देगा। इतना सब कुछ होने के बावजूद बजट मंजूर नहीं किया जा रहा। सूत्रों के अनुसार ई-नाम योजना को गति देने के लिए मंडी में तीन टच कियोस्क भेजे गए हैं।
मंडी परिसर के तीनों ब्लॉकों में एक-एक कियोस्क लगाया जाना है। जिन व्यापारियों को अपने कम्प्यूटर या मोबाइल से ऑन लाइन काम करने में परेशानी है, वे इन टच कियोस्क के माध्यम से ऑन लाइन काम कर सकेंगे।गौरतलब है कि जिले की पदमपुर मंडी समिति ई-नाम के चलते अपनी मंडी को लगभग डेढ़ साल पहले ही वाई-फाई कर चुकी है लेकिन जिला मुख्यालय की मंडी की स्वीकृति के लिए गई फाइल मंथर गति से चल रही है। जयपुर से बजट स्वीकृत होने के बाद ई-नाम में पंजीकृत प्रत्येक फर्म से दो मोबाइल नम्बर लिए जाएंगे, इन नम्बरों को वाई-फाई से जोड़ दिया जाएगा। इस फर्म की ई-नाम में लॉगिन आईडी जनरेट होनी भी आवश्यक होगी। यही स्थिति पंजीकृत किसानों के मामले में रखने पर विचार किया जा रहा है।
क्या है ई-नाम
ई-नाम राष्ट्रीय स्तर का इलेक्ट्रोनिक ऑन लाइन व्यापार का वेब पोर्टल है, इसके माध्यम से देश में ई-नाम की किसी भी मंडी से माल खरीदा या बेचा जा सकता है। इसमें फसल का भुगतान सीधे किसान के खाते में आता है। सरकार का मानना है कि इससे नीलामी में प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और किसान को उनकी उपज का वाजिब दाम मिल पाएगा साथ ही सारे काम में पारदर्शिता रहेगी। व्यापारियों-किसानों आदि को जागरूक करने के लिए कई प्रशिक्षण शिविर भी रखे जा चुके। इसमें डिजिटल पेमेन्ट को बढ़ावा देने के लिए भी कोशिश की जा रही है।
ई-नाम राष्ट्रीय स्तर का इलेक्ट्रोनिक ऑन लाइन व्यापार का वेब पोर्टल है, इसके माध्यम से देश में ई-नाम की किसी भी मंडी से माल खरीदा या बेचा जा सकता है। इसमें फसल का भुगतान सीधे किसान के खाते में आता है। सरकार का मानना है कि इससे नीलामी में प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और किसान को उनकी उपज का वाजिब दाम मिल पाएगा साथ ही सारे काम में पारदर्शिता रहेगी। व्यापारियों-किसानों आदि को जागरूक करने के लिए कई प्रशिक्षण शिविर भी रखे जा चुके। इसमें डिजिटल पेमेन्ट को बढ़ावा देने के लिए भी कोशिश की जा रही है।