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जिला परिषद अफसर भी ईडी बन कर रहे छापेमारी

locationश्री गंगानगरPublished: Sep 08, 2023 11:41:51 pm

Submitted by:

surender ojha

Zilla Parishad officers are also conducting raids as ED- सीइओ और बीडीओ पर भड़के पंचायत समिति श्रीगंगानगर के प्रधान

जिला परिषद अफसर भी ईडी बन कर रहे छापेमारी
जिला परिषद अफसर भी ईडी बन कर रहे छापेमारी
श्रीगंगानगर। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता से पहले जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक में हंगामा और शोर शराबा के बीच अफसरों की कार्यशैली पर नाराजगी जताई। जिला परिषद सभागार में हुई इस बैठक में जिला परिषद सदस्यों ने सवाल उठाया कि जिला परिषद अब अफसरों की जेबी संस्था बन गई हैँ। इस बैठक के दौरान पंचायत समिति श्रीगंगानगर के प्रधान सुरेन्द्रपाल सिंह बराड़ बिफर गए और बोले कि मोदी के बाद यहां हमारे जिला परिषद प्रशासन ने भी अपनी ईडी बनाई हुई हैंं। इस ईडी की मनमर्जी इतनी हो गई है कि प्रोटाॅकॉल का ध्यान नहीं रखा जा रहा। पंचायत समिति ऑफिस में उनके चैम्बर को बिना अनुमति न केवल खोला गया बल्कि लॉकर तोड़कर उनका कीमती समान तक गायब कर दिया। प्रधान के इस खुलासे से पूरा सदन शोर शराबे में गूंज उठा। इस दौरान सीइओ मुहम्मद जुनैद एकाएक सरकारी कामकाज के कारण सदन से बाहर गए तो प्रधान ने सवाल खड़े कर दिए कि जब सीइओ तक कुर्सी पर नहीं हैं तो किससे सुनाएं अपनी पीड़ा। इस पर जिला प्रमुख ने बीडीओ विनोद रैगर को बुलाया और प्रधान के चैम्बर की जांच करने के बारे में पक्ष रखने की बात कही। इस पर रैगर का कहना था कि चैम्बर के कार्यो की जांच के लिए अधीनस्थों कार्मिकों के साथ गए थे। इस पर प्रधान उत्तेजित हो गए और बोले कि यह पिछली बैठक में उनकी ओर से उठाए गए तीख सवालों के बदले जिला परिषद प्रशासन ने जानबूझकर यह कार्रवाई की। विधायक कुन्नर ने आपत्ति दर्ज कराई कि अधिकारी जनप्रतििधियों के कामकाज में दखंलदांजी करने लगे हैं। यह अच्छा संदेश नहीं जाता।
महिला डायरेक्टर ने सवाल किए तो छाई खामोशी
रायसिंहनगर क्षेत्र जिला परिषद डायरेक्टर हरमीत कौर ने सवाल किए तो करीब बीस मिनट तक पूरे सदन में सन्नाटा पसर गया। उनका सवाल था कि उनके डायरेक्टर बनने से लोगों की ज्यादा उम्मीदें बंधी। लोग अपनी जन समस्याओं को लेकर आए तो उन्हेांने जिला परिषद ऑफिस में कॉल किए तो कार्मिक से लेकर अधिकारी एक दूसरे को अधिकृत बताकर अपनी जिम्मेदारी से बचते रहे। धरातल पर कामकाज नहीं हुआ। अफसरों ने रटरटाया जवाब बना लिया कि काम तो करना नहीं सिर्फ बहाने बनाकर समय निकालते रहे। हुआ भी वही। उनकी ओर से किए गए कार्यो की अनुशंषा जारी होने के बाद इसकी वित्तीय स्वीकृति के लिए महीनों का समय लगा दिया गया। डायरेक्टर का नाम तक अफसर और कार्मिक जानते नहीं, इससे बड़ी क्या विडम्बना होगी। जोन वाइज विकास कार्यो और वित्तीय स्वीकृति का मिलान किया जाएं तो पग पग पर खानापूर्ति का आंकड़ा आएगा। इस महिला का कहना था कि डायरेक्टर नहीं बनते तो सिर्फ इतना मलाल होता कि कभी जनप्रतिनिधि बने नहीं लेकिन बने है तो काम नहीं होते। ऐसी राजनीति का क्या फायदा।
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घोटाले में अफसरों की भूमिका की भी हो जांच
जिला परिषद डायरेक्टर मंगलसिंह ने सवाल उठाया कि रावला में सरसों की सरकारी खरीद के नाम पर हुए घोटाले में सिर्फ ई मित्र दुकानदार और चंद कार्मिक कुल मिलाकर 66 कार्मिकों को दोषी माना गया है जबकि जिन अफसरों के कहने पर यह पूरा खेल खेला गया था, उनकी भूमिका की जांच को जांच दायरे में शामिल नहीं किया गया हैं। मूंग की सरकारी खरीद की प्रक्रिया भी सरसों की खरीद की तर्ज पर ज्यादा आर्थिक नुकसान पहुंचा सकती हैंं, इसके लिए समय रहते अधिकारी और खरीद एजेसिंयो को पाबंद किया जाएं ताकि किसानों को उनकी फसल का वाजिब दाम मिल सके। उन्होंने वाटर वर्क्स और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी अधूरे पड़े कार्यो के बारे में सवाल उठाए।
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अब भी संभल जाओ, कैँसर बन जाएगा पूरा इलाका
जोन नम्बर 26 के जिला परिषद डायरेक्टर सुखप्रीत सिंह ने सवाल उठाया कि एसटीपी की पाइप लाइन से साधुवाली लिंक चैनल में गंदा पानी डाला जा रहा हैं। बिना ट्रीटमेंट किए गए पानी को सीधे नहर में डालने से पानी प्रदूषित होगा। इससे कैँसर जैसी बीमारियों से पूरा इलाका गिरफ्त में आ जाएगा। सीवर लाइन बिछाने वाली ठेका कंपनी तो अपना काम पूरा करने के बाद यहां से चली जाएगी लेकिन लंबे समय से इसका प्रभाव देखने को मिलेगा। उन्होंने सिंचाई पानी के संबंध में कई तीखे सवाल भी पूछे।
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घड़साना प्रधान बोली, हमारी तो सुनो कुछ
इस दौरान घड़साना पंचायत समिति की प्रधान रेणु जाखड़ ने सवाल उठाया कि उनकी पंचायत समिति में एक वाहन खरीदने का प्रस्ताव जिला परिषद के पास भिजवाया गया था लेकिन अब तक इस पर कोई आदेश जारी नहीं किया गया हैं। अब चुनाव की आचार संहिता लगने वाली हैं, सीइओ भी सदन से बाहर चले गए हैं। अब आप ही बताओ क्या करें। जिला प्रमुख ने वाहन खरीदने की बात ही, अनुमोदन की प्रक्रिया भिजवा दी जाएगी। इस दौरान उनके परिवारिक सदस्य के खिलाफ जांच को क्लीन चिट़ट दिए जाने के बावजूद जिला परिषद प्रशासन की दुबारा जांच करने की चेतावनी पर आपत्ति जताई।
इस बैठक में डायरेक्टर अजीत सिंह मल्ली और पूर्व सांसद शंकर पन्नू ने भी कई सवाल पूछे। इस दौरान इन दोनेां का कहना था कि हमारी ओर से सवाल करने के बावजूद काम होगा या नहीं। पन्नू ने वन विभाग से सड़क किनारे कंटीली झाडि़यों को साफ करने के संबंध में सवाल जवाब किए।
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