बमुश्किल 13 साल की उस बच्ची की आंखों में अब आंसू नहीं हैं, अगर कुछ है, तो बस कुछ ही दिन में इस दुनिया में आने वाले अपने बच्चे को देखने की चाहत।
बमुश्किल 13 साल की उस बच्ची की आंखों में अब आंसू नहीं हैं, अगर कुछ है, तो बस कुछ ही दिन में इस दुनिया में आने वाले अपने बच्चे को देखने की चाहत। वो बच्चा, जो उसके सौतेले बाप की करतूत के चलते पिछले आठ महीने से उसके गर्भ में पल रहा है। ये कहानी है मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के मांझी गांव की एक बच्ची की। इस बच्ची के साथ पिछले तीन साल से उसका सौतेला बाप दुष्कर्म कर रहा था, लेकिन उसने कभी डर के कारण अपनी मजदूर मां को इस बारे में नहीं बताया।
रोते हुए बयां की पिता की करतूतजुलाई में लगातार पेट दर्द की शिकायत के कारण मां अस्पताल लेकर गई। डॉक्टरों ने जब पांच महीने के गर्भ की जानकारी दी, तो बच्ची ने रोते हुए पूरी कहानी बयां की। मामला सामने आते ही सौतेले बाप को दुष्कर्म के आरोप में पुलिस ने हिरासत में ले लिया। बाप के जेल जाते ही मां ने बच्ची को कटनी ले जाकर उसके हाल पर छोड़ दिया।
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मां ने भी छोड़ दिया साथआठ महीने की गभर्वती इस बच्ची की शरणस्थली अब कटनी की एक गैर सरकारी संस्था है, जहां वह अपने बच्चे को जन्म देने की तैयारी कर रही है। संस्था के संस्थापक डॉ समीर चौधरी ने को बताया कि बच्ची के गर्भवती होने का पता चलने और इसी आरोप में उसके बाप के जेल जाने के बाद उसकी मां उसे कटनी छोड़ कर गायब हो गई। बाल कल्याण समिति के माध्यम से बच्ची को संस्था में लाया गया। बहुत कोशिशों के बाद पत्थर तोड़ने वाली बच्ची की मजदूर मां से संपर्क कर उसे बुलाया गया, लेकिन उसने अपनी ही बच्ची से बात करने में कोई रूचि नहीं दिखाई।
प्रशासन की ओर से मुहैया करवाई जा रही है सहायताहालत नाजुक होने के कारण बच्ची को जबलपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिसके बाद वहां के प्रशासन ने उसे प्रसव तक उसी अस्पताल में रखने का फैसला किया, लेकिन बच्ची की मानसिक स्थिति को देखते हुए वापस संस्था में भेज दिया गया। अब संस्था ही उसका प्रसव कराने की तैयारी कर रही है। डॉ चौधरी ने बताया कि बच्ची अब अपने अजन्मे बच्चे को लेकर खासी ऐहतियात बरत रही है। तमाम मुश्किलों को पार करने के बाद उसे उसकी कम उम्र को देखते हुए खासी समझाइश दी गई, जिसके बाद उसने खाना-पीना सामान्य किया। उसकी देखभाल के लिए प्रशासन की ओर से दो विशेष स्वास्थ्य कार्यकर्ता उपलब्ध कराई गई हैं, जो हर समय उसके साथ रहती हैं।
पिता ने जो किया, उसमें बच्चे का क्या दोष? क्या कभी गर्भपात कराने के बारे में सोचा, इस सवाल के जवाब में डॉ चौधरी ने बच्ची के हवाले से कहा कि सौतेले पिता ने जो किया, उसमें बच्चे का क्या दोष? अब आंसू नहीं बहाउंगी, बच्चे को पालने के लिए अगर पत्थर भी तोडने पडें, तो पीछे नहीं हटूंगी। हालांकि कानूनन बच्ची की राह इतनी आसान नहीं है।
कोर्ट को करना पड़ सकता है हस्तक्षेपकानून विशेषज्ञ और बच्चों से जुडे मामलों के वकील नितिन आचार्य इसमें जुडी बाधाओं का जिक्र करते हुए बताते हैं कि’सिंगल पेरेंट’ होने की दशा में भी कानून किसी और को बच्चा गोद देने की इजाजत तब देता है, जब मां बालिग हो, लेकिन इस मामले में बच्ची चूंकि नाबालिग है, तो ऐसे में वह केवल अपने हस्ताक्षर से किसी और को अपने बच्चे को गोद नहीं दे सकती। वहीं उसके मां-बाप की परिस्थितियों को देखते हुए बच्चा उन्हें भी नहीं सौंपा जा सकता। ऐसे में मामले में हो सकता है कि अदालत को हस्तक्षेप करना पड़े।
(DEMO PIC)