वाराणसी

BHU में अब शिक्षकों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर

पत्रकारिता विभाग के दूसरे शिक्षक ने लगाया मानसिक प्रताड़ना का आरोप। शिक्षक को ह्वाट्सएप पर मिला शर्मनाक जवाब।
 

वाराणसीSep 21, 2017 / 02:31 pm

Ajay Chaturvedi

बीएचयू

वाराणसी. बनारस हिंदू विश्वविद्याय में अब शिक्षकों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज होने लगा है। अभी कुछ दिन पूर्व पत्रकारिता विभाग की एक महिला शिक्षक ने कला संकाय प्रमुख के खिलाफ तमाम आरोप लगाए और यहां तक कि लंका थाने में मुकदमा दर्ज कराया। उसकी जांच हाईकोर्ट के एक अवकाश प्राप्त जज से कराई जा रही है। वह जांच अभी पूरी भी नहीं हुई कि पत्रकारिता विभाग के ही दूसरे शिक्षक ने भी कला संकाय प्रमुख पर मानसिक प्रताड़ना आरोप लगाया है। यहां तक कि उन्होंने प्राक्टोरियल बोर्ड के सदस्य पद से इस्तीफा देते हुए कहा है कि मेरी जान को खतरा है। उन्होंने यह भी कहा है कि जो अपनी सुरक्षा नहीं कर सकता वह दूसरे की क्या सुरक्षा करेगा। इस आशय का पत्र उन्होंने चीफ प्राक्टर और कुलपति को भेज दिया है।
 

कला संकाय के पत्रकारिता एवं जन संप्रेषण विभाग के सह-प्राध्यापक और प्रॉक्टर डॉ. ज्ञान प्रकाश मिश्रा ने बीते शनिवार को विश्वविद्यालय के मुख्य आरक्षाधिकारी को इस्तीफा सौंपा। इसमें उन्होंने साफ लिखा है, ‘मैं वश्वविद्यालय के प्रॉक्टोरियल बोर्ड का एक सदस्य हूं और मैं स्वयं अपनी सुरक्षा करने में असमर्थ हूं, इस कारण मैं अपने प्रॉक्टर पद से इस्तीफा दे रहा हूं।’ ज्ञान प्रकाश ने कला संकाय प्रमुख कुमार पंकज और विभागाध्यक्ष अनुराग दवे पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप भी लगाया है। उन्होंने इस्तीफा की एक प्रति विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी को भी प्रेषित की है।
 

बता दें कि विश्वविद्यालय का माहौल तीन साल से गड़बड़ चल रहा है। आए दिन छात्रों का आंदोलन, मारपीट, पथराव, आगजनी जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। अभी पिछले दिनों ही परिसर में बाइक सवार बदमाशों ने आनंद यादव नामक छात्र को गोली मार दी जिसकी हालत गंभीर है। दो सप्ताह पहले समीर यादव नामक छात्र को कुछ अराजकतत्वों ने कक्षा में घुस कर कट्टे के बल पर बंधक बना लिया था और बाहर लाकर लात-घूसों से उसकी पिटाई की थी। उसके कपड़े फाड़ दिये। फिर उसे बिड़ला छात्रावास ले गए। इस दौरान प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्य मूकदर्शक की भूमिका निभाते रहे। सुरक्षाधिकारियों और पुलिस प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ था। गत 27 जुलाई को ऐसे ही कुछ युवाओं ने चंदा के नाम पर लंका क्षेत्र के दुकानदारों से अवैध वसूली का वीडियो बना रहे एक पत्रकार पर हमला कर दिया। उन्होंने उस पत्रकार को मारा-पीटा और मोबाइल छीन लिया। यह पूरा वाकया प्रॉक्टोरियल बोर्ड के अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों के सामने हुआ लेकिन किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया। दरअसल कैंपस में आए दिन मारपीट की घटनाएं होती रहती हैं लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन समेत पुलिस प्रशासन हमलावरों को ना गिरफ्तार करता है और ना ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई होती है। सवाल उठता है कि विश्वविद्यालय परिसर के अंदर न छात्र सुरक्षित हैं और न प्रॉक्टर। ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन की निजी सुरक्षा व्यवस्था के औचित्य पर सवाल उठने लगे हैं।
 

इधर बीच ह्वाट्सएप पर एक स्क्रीन प्रिंट वायरल हो रहा है जिसमें एक शिक्षक को विश्वविद्यालय के ही एक ओहदेदार ने असंसदीय भाषा का प्रयोग किए दर्शाया जा रहा है। दरअसल उन शिक्षक ने सरसुंदर लाल चिकित्सालय में नियुक्ति को लेकर सवाल खड़ा किया था, जिस पर उन्हें असंसदीय शब्दों से नवाजा गया। अब इसकी शिकायत प्रधानमंत्री से भी की गई है। उधर एक निजी विद्यालय के लिए चंदा मांगने के मामले में राष्ट्रपति से शिकायत की गई। इस पर राष्ट्रपति ने संज्ञान लेते हुए मानव संसाधन मंत्रालय को विधिक जांच का निर्देश दिया है। यह मामला कुलपति से जुड़ा बताया जा रहा है। दरअसल यह शिकायत आजमगढ़ निवासी हरिकेश बहादुर सिंह ने की थी। श्री सिंह बीएचयू के वाणिज्य संकाय के निर्माण में आर्थिक मदद करने वाले स्व. ठाकुर रतन पाल सिंह और के पुत्र व पूर्व निर्दल विधायक सुरेंद्र बहादुर सिंह के रिश्तेदार हैं। हरिकेश बहादुर सिंह ने बीएचयू में चल रहीं नियुक्तियों के मामले की जांच की भी दरख्वास्त की थी।
 
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