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नवजात बच्चों की तस्करी रैकेट में अब BJP नेता गिरफ्तार, NGO- डॉक्टर- वकील की भूमिका भी संदिग्ध

Published: Dec 01, 2016 09:57:00 am

Submitted by:

Nakul Devarshi

पश्चिम बंगाल सीआईडी ने बच्चों की तस्करी करने वाले इस रैकेट का खुलासा बीते 21 नवंबर को किया था। यह रैकेट डॉक्टरों, वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और कारोबारियों के आपसी गठजोड़ से चल रहा था।

नवजात बच्चों की तस्करी रैकेट में पश्चिम बंगाल सीआईडी ने बुधवार को भाजपा के एक स्थानीय नेता डॉक्टर दिलीप घोष की गिरफ़्तारी की है। दिलीप घोष बिधान नगर निकाय चुनाव में वार्ड संख्या 31 से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। पश्चिम बंगाल सीआईडी ने 21 नवंबर को राज्य में नवजात बच्चों के एक बड़े रैकेट का पर्दाफ़ाश किया था जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता, डॉक्टर, वकील, कारोबारी की भूमिका सामने आई थी। अब इस रैकेट के तार भाजपा नेताओं से भी जुड़ने लगे हैं।
पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का नाम भी दिलीप घोष है लेकिन इस रैकेट में शामिल होने के आरोप में गिरफ़्तार मुलज़िम दिलीप घोष वह नहीं हैं। भाजपा में जुड़ने से पहले दिलीप घोष सीपीएम में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
सीआईडी ने बुधवार को घोष से पूछताछ की थी। सीआईडी ने पूछा था कि सेंट्रल कोलकाता स्थित श्रीकृष्णा नर्सिंग होम से उनके क्या संबंध हैं? मगर दिलीप सीआईडी को जवाब नहीं दे पाए जिसके बाद उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया।
भाजपा नेता और मुलज़िम दिलीप घोष पेशे से डॉक्टर हैं। वह इस नर्सिंग होम में पिछले 21 साल से काम कर रहे थे। इससे पहले सीआईडी ने अपनी तफ़्तीश में कहा था कि नवजातों की तस्करी के मामले में श्री कृष्णा नर्सिंग होम की भूमिका संदिग्ध है। नर्सिंग होम को सील करने के बाद इसके संचालक पार्थ चटर्जी को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। घोष कोलकाता के साल्ट लेक इलाक़े में रहते हैं। 
श्री कृष्णा नर्सिंग होम

सीआईडी की तफ़्तीश में कोलकाता के कई नर्सिंग होम की भूमिका नवजातों की तस्करी में उजागर हुई थी। श्री कृष्णा नर्सिंग कोलकाता के कॉलेज स्ट्रीट में चलता था जिसके संचालक पार्थ चटर्जी को पहले ही गिरफ़्तार किया जा चुका है। वह तीन साल से इस रैकेट का हिस्सा थे। 
इससे पहले 21 नवंबर को सीआईडी ने बैद्य क्लिनिक और बदुरिया स्थित सोहोन नर्सिंग होम पर छापेमारी की थी। इस नर्सिंग होम से तीन नवजात बरामद किए गए थे जिनमें से दो को बिस्कुट के कार्टून में छिपाकर रखा गया था।
कितना बड़ा है रैकेट?

पश्चिम बंगाल सीआईडी ने बच्चों की तस्करी करने वाले इस रैकेट का खुलासा बीते 21 नवंबर को किया था। यह रैकेट डॉक्टरों, वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और कारोबारियों के आपसी गठजोड़ से चल रहा था। डॉक्टरों की मदद से नवजात अस्पतालों से गायब किए जाते थे, फ़िर बच्चों के नाम पर एनजीओ चलाने वाले कथित सामाजिक कार्यकर्ता उनकी बिक्री करते थे। कोलकाता सीआईडी इस रैकेट से जुड़े 15 मुलज़िमों को पहले ही गिरफ़्तार कर चुकी है। घोष की गिरफ़्तारी बुधवार को की गई।
इस रैकेट का केंद्र राजधानी कोलकाता के अलावा पश्चिम बंगाल के दो ज़िले साउथ 24 परगना और नॉर्थ 24 परगना हैं। सीआईडी ने साउथ 24 परगना के एक वृद्धा आश्रम ‘पुरबाशा’ में छापेमारी कर 10 नवजातों को छुड़ाया था। वहीं नॉर्थ 24 परगना के एक एनजीओ सुजित मेमोरियल ट्रस्ट के कैंपस से दो बच्चों की लाशें कब्र खोदकर निकाली गई थीं। तीन नवजातों के कंकाल और दो खोपड़ियां भी बरामद हुई थीं।
एनजीओ और नर्सिंग होम का गठजोड़

साउथ 24 परगना स्थित वृद्धा आश्रम पुरबाशा की संचालक रीना बनर्जी थीं जबकि इनके पिता पुतुल बनर्जी बहेला में नर्सिंग होम चलाते थे। डिलिवरी के लिए आने वाली महिलाओं को पुतुल कहते थे कि डिलिवरी होते ही बच्चे की मौत हो गई है, लेकिन बाद में वह नवजातों को बेच देते थे। इसके बाद सीआईडी ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर नवजातों को बाहर निकाला। सभी बेहद गंदी हालत में मिले।
सीआईडी इससे पहले ही सोहन नर्सिंग होम, श्री कृष्णा नर्सिंग होम और साउथ व्यू नर्सिंग होम को सील कर चुकी है। तीनों नर्सिंग होम एनजीओ को नवजात सप्लाई करते थे। 

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