अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने भी इसका विरोध किया और वरिष्ठ संतों ने भी इसे अमान्य करार दिया है। शंकराचार्य स्वरूपानंद की ओर से उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। गौरतलब है कि देश में सनातन परंपरा के अनुसार चार पीठ पर शंकराचार्य विद्यमान है जिसमें काशी पीठ और द्वारिका पीठ पर स्वरूपानंद सरस्वती विराजमान है। इसके अलावा पुरी और श्रृंगेरी पीठ हैं। हालांकि पांचवी पीठ कांचींकाम कोठी को आदि शंकराचार्य की जन्म और कर्मस्थली होने के कारण मान्यता है। इसके अलावा किसी को भी सनातन परंपरा के अनुसार मान्यता नहीं है।
शंकराचार्य स्वरूपानंद के प्रतिनिघि और द्वारका पीठ के सचिव सदानंद ने स्वामी अच्यूूतानंद के खिलाफ द्वारिका थाने में प्रथमिकी दर्ज कराई है। उन्होने यहां पत्रकारों को बताया कि एक पीठ पर शंकराचार्य के होते हुए कोई अनाधिकार चेष्टा नही कर सकता। इसलिए उन्होने द्वारकापीठ पर कब्जा करने की नीयत से फर्जी कार्यववाही करने वाले अच्यूतानंद के खिलाफ धोखाधड़ी और अन्य धाराओं में रपट दर्ज करवाई है।
स्वामी स्वरूपांनद की ओर से भी बयान जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि उन्होने किसी को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त नही किया है। जब तक वह जीवित है द्वारिका पीठ के वह ही एकमात्र शंकराचार्य हैं। परन्तु फर्जी तरिके से यदि कोई शंकराचार्य अपने आप केा घोषित करता है तो उसे थाने और कचहरी का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।