पुलिस के मुताबिक़ इस्लामुद्दीन पर मादक पदार्थ नियंत्रण कानून के तहत तीन मामले पहले ही दर्ज किए जा चुके थे जिनमें से दो में वह जेल की सजा भी काट चुका था। लेकिन तीसरे मामले में अदालती कार्रवाई से बचने के लिए ही उसने अपनी पत्नी सलमा बेगम के जरिए कड़कडड़ूमा अदालत में फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र दाखिल करवाकर खुद को मृत घोषित करा लिया था।
मृत घोषित किए जाने के बाद उसके खिलाफ मुकदमा बंद कर दिया गया था। इसी बीच उसने अपना नाम बदलकर वाहिद रख लिया। लेकिन अपने गिरोह के लोगो में वह इस्लामउद्दीन के नाम से ही जाना जाता रहा जिसके कारण पुलिस को उसका सुराग हाथ लग गया।
तस्करी की बे-रोक टोक चलती रही उसकी गतिविधियों ने भी संदेह पैदा किया जिसके आधार पर पुलिस ने इस्लामुद्दीन की तलाश की और आखिरकार उसे धर दबोचा। उसके पास से तस्करी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला फोन सिमकार्ड और एक पल्सर बाइक बरामद की गई है।
पुलिस को 20 अगस्त को खुफिया जानकारी मिली की इस्लामुद्दीन नशीले पदार्थों की खेप लेकर किसी से मिलने उत्तर प्रदेश के रामपुर में एक ढाबे के पास आने वाला है। पुलिस ने मौके पर जाल बिछाकर उसे गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से दो किलोग्राम हेरोइन बरामद की गई।
पुलिस पूछताछ में उसने बताया कि वह मेरठ जिले का रहने वाला है और पिछले 30 साल से ड्रग तस्करी का धंधा कर रहा है। पुलिस इस्लामुद्दीन से उसके गिरोह की गतिविधियों और उसके साथियों के बारे में गहन पूछताछ कर रही है।