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TFRI के वैज्ञानिकों का मॉडल चंबल में रोकेगा मरुस्थल का फैलाव, जानें कैसे

घड़ियालों के प्रजनन क्षेत्र को बचाने पहल

जबलपुरMay 17, 2024 / 12:21 pm

Lalit kostha

TFRI

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वीरेन्द्र रजक@जबलपुर. उष्ण कटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों का मॉडल चंबल क्षेत्र में बढ़ते मरुस्थल को रोकेगा। वैज्ञानिकों ने करीब 3 साल की रिसर्च के बाद मुरैना जिले के उसेद में 22 एकड़ में मॉडल तैयार कर बालू के बढ़ते प्रसार रोकने में सफलता हासिल की है। इससे चम्बल में घडियालों के संरक्षण में मदद मिलेगी।
TFRI scientists' model will stop the spread of desert in Chambal
मिट्टी का कटाव बढऩे से बालू बढ़ी: टीएफआरआई के फॉरेस्ट इकॉलॉजी एंड क्लाइमेट चेंज विभाग के वैज्ञानिक डॉ. एम. राजकुमार ने बताया कि चम्बल नदी में रहने वाले घडिय़ाल नदी के किनारे आकर बालू में अंडे देते है। बीहड़ कम होने के कारण मिट्टी का कटाव बढ़ा और किनारे पर बालू की अ धिक मात्रा जमा होने लगी। इस कारण घडिय़ाल और उनकी प्रजाति पर खतरा मंडराने लगा। मिट्टी जमा होने के कारण घडियाल के रहवास पर भी संकट पैदा होने लगा था।
ये है मामला

चम्बल नदी के बीहड़ों में जंगल कम होने लगा, तो चम्बल नदी और उसमें रहने वाले घडियाल के जीवन पर संकट बन गया। घडियालों की प्रजाति खतरे में आने लगी। यह जानकारी सामने आने के बाद ऊष्ण कटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान (टीएफआरआई) को इसके रेस्टॉरेशन के लिए मॉडल तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
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Demo Pic
पूरी तरह से रुका मिट्टी का कटाव

मरुस्थलीकरण की शुरूआत रोकने के लिए मुरैना 22 एकड़ जमीन पर मॉडल तैयार किया गया। संकटग्रस्त प्रजाति गुग्गल के साथ ही नीम, खैर, बेल, आंवला और करधई के पौधों को रोपण किया गया। यह पौधे अब पूरी तरह से तैयार हो गए हैं। मिट्टी का कटाव भी पूरी तरह से रुक गया और एक बार फिर से यहां जंगल तैयार हो गया। अब इस रिसर्च मॉडल को उन स्थानों पर भी अपनाया जाएगा, जहां जमीन सूख रही है या फिर जहां मरुस्थलीकरण की शुरूआत हो रही है।

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