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जयपुर

राजस्थान में चुनावी शोर के बीच इनकी नौकरी दांव पर, सता रहा बेरोज़गार होने का डर

Lok Sabha Elections 2024 : लोकसभा चुनाव में प्रचार-प्रसार फीका रहा। यही वजह रही है कि, राजधानी की कई दुकानों में प्रचार सामग्री बोरियों में ही बंद रह गई। पड़ताल में सामने आया कि जब प्रचार सामग्री का रुझान दुकानदारों को नहीं दिखा तो धार्मिक झंडे से लेकर भगवान के कट आउट बेचने शुरू कर दिए।

जयपुरApr 24, 2024 / 03:25 pm

Omprakash Dhaka

Lok Sabha Elections 2024 Publicity Faded Digital Era Merchandise Salespeople Promotional Material
Rajasthan Lok Sabha Elections : लोकसभा चुनाव में प्रचार-प्रसार फीका रहा। यही वजह रही है कि, राजधानी की कई दुकानों में प्रचार सामग्री बोरियों में ही बंद रह गई। पड़ताल में सामने आया कि जब प्रचार सामग्री का रुझान दुकानदारों को नहीं दिखा तो धार्मिक झंडे से लेकर भगवान के कट आउट बेचने शुरू कर दिए। यही नहीं, संसार चंद रोड पर तो एक दुकान पर अब चूड़ियों की बिक्री होती है। संसार चंद रोड पर चार दुकानें हुआ करती थीं। इनमें से तीन बंद को चुकी हैं। दुकानदारों ने बताया कि भाजपा ने स्थानीय स्तर पर प्रचार सामग्री खरीदने की बजाय सीधे थोक में खरीदी। यह खरीदारी कारखानों से हुई और सीधे पार्टी व कार्यालयों को दी गई। प्रत्याशियों ने अपने स्तर पर प्रचार सामग्री कम खरीदी या फिर खरीदी ही नहीं। वहीं, कांग्रेस प्रत्याशियों ने पैसा कम खर्च किया।

पांच फीसदी माल ही बिका

संसार चंद रोड स्थित दुकान पर काम करने वाले कपिल ले बताया कि करीब 25 लाख का माल भरा था। इसमें से 5% की ही बिक्री हुई। चुनाव सामग्री नहीं बिक रही तो अब धार्मिक झंडे बेचना शुरू कर दिए हैं।

ऐसे समझें महत्व

● 05 से 15 लाख रु. तक पैकेज ले रहे सोशल मीडिया पर प्रचार का

● 15 से 20 पैसे प्रति एसएमएस पर खर्च हो रहे प्रत्याशियों के

● 1.15 रुपए वाट्सऐप पर मैसेज भेजने का लिया जा रहा प्रत्याशियों से

इधर, तेजी से बढ़ रहा व्यापार

प्रचार सामग्री की दुकानों पर भले ही मंदी छाई रही हो, लेकिन चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों ने सोशल मीडिया पर धूम मचाई। इसके लिए फील्ड से लेकर ऑफिस तक में पांच से सात लोगों की टीम रहती है। लाखों के पैकेज होते हैं। लाइव कार्यक्रम लोगों के बीच पहुंचता है। सोशल मीडिया और एसएसएस से लेकर कॉलिंग का व्यापार करोड़ों का है।
50 वर्ष से इस कारोबार में हैं, लेकिन इस बार सर्वाधिक मंदी है। हम प्रचार के दौरान इंतजार ही करते रहे, लेकिन कोई सामग्री खरीदने नहीं आया। नई पीढ़ी को इस व्यापार से दूर रखेंगे। कुछ और कराएंगे।
– विष्णु अग्रवाल, व्यापारी, त्रिपोलिया बाजार

लोकसभा चुनाव में विस चुनाव की तुलना में प्रत्याशी कम होते हैं। 20 फीसदी ही व्यापार हुआ है। पिछले लोस चुनाव की तुलना में यह बहुत कम है। विस चुनाव में झंडे-बैनर के अलावा नेताओं के कट आउट भी खूब बिके थे।
– चेतन अग्रवाल, व्यापारी, संसार चंद रोड

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