3 वर्ष में 800 से अधिक एनओसी
एसएमएस अस्पताल में बनी कमेटी के नाम से गत तीन वर्ष में 800 से अधिक एनओसी विभिन्न हॉस्पिटल को जारी की गईं। अधिकतर फर्जी एनओसी नेपाल, बांग्लादेश और कंबोडिया सहित अन्य देशों के नागरिकों के नाम से जारी की गईं। एसीबी की ओर से मामले में खुलासा करने के बाद इसके सबूत खुर्द-बुर्द करने की आशंका जताई जा रही है। एसीबी इसकी भी जांच कर रही है कि निजी अस्पतालों में कितने ट्रांसप्लांट किए गए और डोनर कौन था।
एनओसी में मिले चारों डॉक्टरों के हस्ताक्षर
आरोपी गौरव सिंह के घर पर तैयार 75 फर्जी एनओसी व 175 अधूरी एनओसी रखी मिलीं। जबकि कार्यालय में तैयार 16 एनओसी मिली थीं। जिन अस्पताल के नाम से एनओसी बनी मिली है, एसीबी उनके संचालकों से भी इस संबंध में पूछताछ करेगी। तैयार एनओसी में मरीज व डोनर की फोटो और उनके नाम व पते लिखे हुए हैं। मरीज और डोनर के आपसी रिश्ते की भी जांच की जाएगी। एनओसी देने वाली कमेटी में शामिल चारों डॉक्टरों के हस्ताक्षर हैं। सभी एनओसी में किए हस्ताक्षर फर्जी हैं या असल, इस संबंध में भी जांच की जा रही है।
फोर्टिस हॉस्पिटल में चला सर्च अभियान
डीआइजी डॉ. रवि ने बताया कि एसीबी की टीम ने मंगलवार को फोर्टिस हॉस्पिटल में सर्च कर कई फाइलों को खंगाला। यहां से कुछ दस्तावेज जब्त किए हैं। एसएमएस अस्पताल के सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह, ईएचसीसी अस्पताल में ऑर्गन ट्रांसप्लांट समन्वयक अनिल जोशी और फोर्टिस अस्पताल के ऑर्गन ट्रांसप्लांट समन्वयक विनोद को गिरफ्तार किया था। तीनों आरोपी एसीबी की रिमांड पर हैं और उनसे पूछताछ में कई खुलासे होने की संभावना है। एसीबी सूत्रों के मुताबिक, सर्च में गौरव सिंह के पास मिली फर्जी एनओसी में से करीब 40 फीसदी विदेशी नागरिकों से संबंधित हैं। एसीबी ने फोर्टिस अस्पताल में अंग प्रत्यारोपण संबंधित 20 और ईएचसीसी से 25 फाइलें जब्त की हैं।
सवाईमानसिंह अस्पताल सहित राजधानी के ईएचसीसी और फोर्टिस अस्पताल में अंग प्रत्यारोपण की फर्जी एनओसी जारी करने वाले बाबुओं ने ऑफलाइन आवेदन सिस्टम का जमकर फायदा उठाया। एक साल से कमेटी की मीटिंग नहीं बुलाए जाने के सवाल पर कमेटी सदस्यों का चौंकाने वाला जवाब यह रहा कि उन्हें निजी अस्पतालों के आवेदनों की जानकारी ही नहीं लगती थी। दर्जनों फर्जी एनओसी जारी होने की आशंका के बाद अब सवाईमानसिंह
मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने आवेदन सिस्टम को ऑनलाइन करने का निर्णय लिया है। एनओसी जारी करने की नीति तय करने के लिए अब कॉलेज प्रशासन विस्तृत नीति भी जारी करेगा। बड़ा सवाल यह है कि एक साल तक कमेटी ने यह कैसे मान लिया कि निजी अस्पतालों में लाइव डोनर के जरिये अंग प्रत्यारोपण हो ही नहीं रहे। एक साल बाद स्वयं कमेटी के सदस्यों ने ही एसीबी को इस मामले की जानकारी दी।
कमेटी में मेडिकल कॉलेज प्राचार्य, एसएमएस अधीक्षक सहित दो अन्य बड़े डॉक्टर शामिल होते हैं। अस्पताल अधीक्षक डॉ.अचल शर्मा ने बताया कि इस प्रक्रिया को सरल करने के साथ ही नया स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) बनाने पर भी विचार कर रहे हैं, ताकि मरीजों को इंतजार नहीं करना पड़े। गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग ने एसएमएस के गौरव सिंह को निलंबित करने के साथ ही दोनों निजी अस्पतालों का अंग प्रत्यारोपण लाइसेंस भी स्थगित कर दिया है।
राजस्थान की सबसे बड़ी मेडिकल स्कीम में बड़ी धांधली, ‘पत्रिका’ का हैरान करने वाला खुलासा
क्रॉस केस को कमेटी ने दी अनुमति
एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ.अचल शर्मा के अनुसार एक साल के दौरान उनके पास कुछ ऐसे मामले आए, जिनमें दो मरीजों के नजदीकी परिजनों की मैचिंग नहीं होने पर उनकी आपसी सहमति से क्रॉस मैंचिंग की अनुमति जारी की गई। मामले मे कमेटी के सदस्यों ने सर्कुलर के जरिये भी अनुमतियां जारी कीं।