मायावती ने अंबेेडकरनगर और बहराइच में चुनावी जनसभाओं को संबोधित करते हुए कहा कि नोटबंदी से किसान, मजदूर और गरीब परेशान हैं। भाजपा ने यह फैसला अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ही लिया। उन्होंने गरीबों की गाढी कमाई बैंकों में जमा करा दी। इस धन से देश के कुछ अमीरों को फायदा पहुंचाया गया।
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि मोदी सरकार का नोटबंदी का फैसला बिना तैयारी किए एक अदूरदर्शी फैसला था जिससे देश का गरीब, किसान और मजदूर आज भी बेहाल है। इस फैसले से जहां गरीबों की रोजी छिन गई वहीं किसान अपने खेतों की बुआई नहीं कर पाए।
उन्होंने कहा कि जो सरकार देश की राजधानी दिल्ली को नहीं संभाल पा रही है वह भला बदहाल उत्तर प्रदेश कैसे सम्भाल पायेगी। राजनीतिक स्वार्थ के लिए भाजपा ने देश में कालाधन पर अंकुश लगाने की आड में 90 फीसदी गरीब जनता को लाइन में खडा कर उससे रोजी रोटी छीन ली।
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबन्दी के फैसले के दस माह पहले ही धन्ना सेठों का कालाधन ठिकाने लगवा दिया था। वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने देश की जनता से सौ दिनों में कालाधन वापस लाकर गरीबों के खाते में 15 लाख रुपये डालने का वायदा किया था लेकिन आज तक एक भी रूपया किसी खाते में नहीं आया है।
मायावती ने कहा कि झगड़े के कारण अल्पसंख्यक सपा-कांग्रेस गठबंधन की ओर नहीं बढ़ेगा। अल्पसंख्यक समय पर न चेते तो उन्हें फिर से नुकसान उठाना पड़ेगा। नरेन्द्र मोदी की सरकार अल्पसंख्यकों को शक की नजर से देख रही है। देश में उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। कामन सिविल कोड और तीन तलाक जैसे मामले में मोदी सरकार दखलंदाजी कर रही है। अल्पसंख्यकों को आतंकवाद, गौ रक्षा, लव जिहाद के नाम पर परेशान किया जा रहा है।
समाजवादी पार्टी(सपा) ने उनके द्वारा शुरू की गई तमाम योजनाओं को नए सिरे से शुरू किया है। पेंशन योजना का नाम बदल दिया, जबकि मेट्रो रेल की योजना उनके कार्यकाल की थी। सपा और मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि बसपा की सरकार बनी तो राज्य में कानून का राज होगा। सपा सरकार के पांच साल तथा केन्द्र की मोदी सरकार की गलत नीतियों के कारण प्रदेश का नुकसान हुआ है। प्रदेश में विकास कार्य ठप पडे हैं। इसको लेकर प्रदेश की 22 करोड जनता में जबरदस्त नाराजगी है।