अपने निवास 5 विक्रमादित्य पर इस करारी हार से खामोश हुए मुलायम का कहना था कि जो कोई भी इस गठबंधन को सही कह रहा था वह हकीकत में झूठ बाल रहा था। कांग्रेस को यूपी में कोई पसंद नहीं करता है, न ही इस गठबंधन की कोई जरूरत थी। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा अपने दम पर पूण बहुमत से आई थी।
UP में पहली बार सबसे कम मुस्लिम विधायक, कहीं काम न आई सपा, बसपा, कांग्रेस की रणनीति पारिवारिक घमासान बड़ी वजह पिछले दिनों समाजवादी पार्टी में छिड़े घमासान के लिए भी उन्होंने अखिलेश यादव को ही जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि इस हार की सबसे बड़ी वजह वही घमासान रहा है। इस घमासान के बाद लोगों ने सपा को वोट इसलिए नहीं किया क्योंकि इस दौरान उनका अपमान किया गया था। पार्टी में मचे घमासान के बाद यही संदेश सपा कार्यकताओं और जनता के बीच पहुंचा था। इस दौरान उन्होंने माना कि यह भाजपा के लिए बहुत बड़ी जीत है, लिहाजा आज उनका दिन है। उन्होंने भाजपा की जीत और सपा की हार को विचित्र बताया है।
अखिलेश की करारी हार पर सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा- यह एक औरत की हाय का असर है फिर दी अखिलेश को सीख यूपी के चुनाव प्रचार में न उतरने के बाबत मुलायम का कहना था कि वर्ष 2012 में उन्होनें करीब 300 रैलियां की थीं लेकिन इस बार उन्होंने केवल चार ही रैलियां की वह भी बेमन के साथ। हार के बाद मुलायम की अखिलेश से बातचीत पर वह बोले की अब वह क्या बोलेगा। उन्होंने अखिलेश को सलाह दी कि हार के बाद भी उन्हें जनता के बीच जाकर जनता को बधाई और धन्यवाद देना चाहिए।
करारी हार के बाद अखिलेश यादव बोले- यूपी की जनता शायद बुलेट ट्रेन चाहती है पार्टी को करना होगा काम मुलायम ने यह भी कहा कि अब यदि पार्टी को जीत चाहिए तो पार्टी को काम करना होगा। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर दिनरात एक कर पार्टी बनाई और खड़ा किया था। लेकिन अब हार का दुख छोड़कर इस हार पर चिंतन किए जाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि देश में किसी भी राज नेता ने अपने जीते जी सत्ता की कमान अपने बेटे को नहीं सौंपी थी लेकिन उन्होंने इसके उलट ऐसा किया और सत्ता का वारिस अखिलेश को बनाया था।