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स्वतंत्रा दिवस स्पेशल: नोएडा के इस गांव में शहीदों ने ली थी पनाह, फिर बनाये थे अंग्रेजों पर हमले के लिए बम

locationनोएडाPublished: Aug 13, 2017 07:44:00 pm

Submitted by:

pallavi kumari

आज भी शहीद भगत सिंह के दोस्त आैर उनके गौत्र का परिवार गांव में हैं मौजूद, 1927 में असेंबली में फेंका गया बम नोएडा के इस गांव में किया गया था तैयार

70 independence day

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नितिन शर्मा, नोएडा. देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले क्रांतिकारियों ने नोएडा के नलगढ़ा गांव को अपना ठिकाना बनाया था। उस समय दिल्ली के नजदीक होने के कारण इस गांव में बना विजय सिंह पथिक आश्रम आजादी के दीवानों के लिए महफूज जगह बन गया था। अंग्रेजी सेना पर हमला करने के बाद क्रांतिकारी यहां आसानी से छिप जाते थे। बीहड़ क्षेत्र होने की वजह से अंग्रेजी सेना का यहां पहुंचना संभव नहीं था।
शहीद भगत सिंह व चंद्रशेखर आजाद आश्रम में बम बनाते थे। गांव में बिखरी निशानियां आज भी इसकी गवाही देती है। असेंबली पर फेंका गया बम भी यहीं बनाया गया था। उन्हीं की मदद करने वाले और चेंद्रशेखर आजाद के गौत्र के परिवार के लोग आज भी इस गांव में बसते हैं।
नोएडा के इस गांव में शहीदों ने ली थी पनाह, फिर बनाये थे बम

चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु, सुखदेव व भगत सिंह जैसे महान क्रांतिकारियों ने भी यहां पनाह ली थी। भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और उनके साथियों ने दिल्ली के नजदीक होने के कारण नलगढ़ा को अपना ठिकाना बनाया था। इन सब में उनका साथ यहां रहने वाले सिंधू परिवार के ही करैनल सिंह ने दिया था। करैनल सिंह कर्नल थे। इसके साथ ही सुभाष चंद्र बोष का स्पीच पढ़ते थे। उनका परिवार आज भी यहां रहता है। उनके बेटे की पत्नी मनजीत कोर ने बताया कि चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु आैर सुखदेव वह यहां तीन वर्ष तक छिपकर रहे। अंग्रेज सेना पर हमला करने की रणनीति बनाने के अलावा आंदोलन को सहीं रास्ता देने के लिए भी योजना बनार्इ गर्इ थी।बम बनाने के लिए बारूद व अन्य सामग्रियों को जिस पत्थर पर रखकर मिलाया जाता था। वह ऐतिहासिक पत्थर आज भी गांव में मौजूद है। पत्थर में दो गढ्ढे हैं, जिसमें बारूद को मिलाया जाता था। इन निशानियों को ग्रामीणों ने सहेज कर रखा गया है। अब इस पत्थर को लोगों ने गांव के बीच मौजूद गुरूद्घारे में रखा है।
पत्थर से लेकर पुरानी तस्वीर आैर अन्य सामान भी है इसका गवाह

मनजीत कोर ने बताया कि नलगढ़ा में उस समय जगल हुआ करता था। यह गांव दिल्ली के पास होने की वजह से ही भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु आैर सुखदेव ने इसको अपना अड्ड बनाया था। वे सभी यहां जंगल में पत्ते व पेड़ पर लगे फल खाकर गुजारा करते थे। इसके साथ ही दिन- रात यहां बारूद आैर हथ गोले बनाने में जुटे रहते थे। जिस पत्थर पर वह सब लोग बारूद पीसते थे। वह पत्थर आज भी गांव में मौजूद है। इस पर पत्थर एक सतह घिसे जाने की वजह से बहुत ही प्लेन हो गर्इ है। इसके साथ ही इसमें दो बड़े छेद भी है। जिनमें बारूद को पीसा जाता था। इतना ही नहीं मनजीत कौर के पास उस समय के फोटों भी मौजूद है।
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