न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप शाही और न्यायमूर्ति संजय हरकौली की खंडपीठ ने याची हरिशंकर पांडेय की ओर से दायर जनहित याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिए। दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि बाल विकास पुष्टाहार विभाग में करोड़ो रुपये का घोटाला वर्ष 2006 से किया जा रहा है।
कहा गया कि इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए। सुनवाई के समय सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि पहले ही पंजीरी घोटाला मामले में याचिका दायर हुई थी। कहा कि मामला कुछ बिन्दुओं पर सुनवाई के लिये उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है।
अदालत ने सुनवाई के बाद कहा कि एक ही मामले में दो याचिकाएं पोषणीय नही है लिहाजा याचिका खारिज किए जाने योग्य है हालांकि इस मामले में अदालत ने यह छूट भी दी है कि यदि कोई उच्चतम न्यायालय जाना चाहे तो वह जा सकता है।