पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) का कहना है कि अगर चेन्नई में प्राकृतिक जलाशयों और निकासी प्रणालियों को संरक्षित रखा गया होता तो आज यह नौबत नहीं आती।
पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) का कहना है कि अगर चेन्नई में प्राकृतिक जलाशयों और निकासी प्रणालियों को संरक्षित रखा गया होता तो आज यह नौबत नहीं आती।
सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने एक बयान में कहा कि हमने लगातार इस बात को उठाया है कि दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई और श्रीनगर आदि शहरों में प्राकृतिक जलाशयों के संरक्षण पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है।
चेन्नई में हर झील में बारिश के अतिरिक्त पानी की निकासी की व्यवस्था थी। लेकिन बेतहाशा निर्माण और अतिक्रमण से अधिकांश झीलों में पानी की निकासी की व्यवस्था बाधित हुई है। हम निकासी की कला को भूल गए हैं।
हम हर जमीन पर मकान बनाना चाहते हैं और भूल गए हैं कि पानी के लिए भी जगह चाहिए। ‘डाउन टू अर्थ’ पत्रिका में कुछ महीने पहले प्रकाशित एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि चेन्नई में जलाशयों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया गया है।
एक जलाशय या झील भूमिगत जल को रिचार्ज करता है जिससे शहर की पानी की कमी दूर होती है।