राज्यपाल राम नाईक ने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को कहा कि कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति पर एक महिला तथा उसकी नाबालिग पुत्री के साथ अपने साथियों सहित सामूहिक दुष्कर्म के आरोप को संज्ञान में लेते हुए गैर जमानती वारंट जारी किया गया है। इस प्रकार के मंत्री के मंत्रिमंडल में बने रहने तथा उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं किए जाने से लोकतांत्रिक शुचिता, संवैधानिक मर्यादा व संवैधानिक नैतिकता का गंभीर प्रश्न उत्पन्न होता है।
नाईक ने कहा है कि मीडिया में आई खबरों के अनुसार, फरार चल रहे उक्त कैबिनेट मंत्री के विदेश भाग जाने की आशंका को देखते हुए गृृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उनके विरुद्ध न केवल लुकआउट नोटिस जारी किया गया है, बल्कि पासपोर्ट प्राधिकारी द्वारा उनका पासपोर्ट भी निलंबित कर दिया गया है। नाईक ने कहा कि प्रजापति के राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री जैसे जिम्मेदार पद पर रहते हुए कथित रूप से किया गया यह अपराध एक नितांत गंभीर प्रकृति की घटना है।
राज्यपाल ने अपने पत्र में यह भी लिखा कि मीडिया के विभिन्न माध्यमों से यह भी मालूम होता है कि स्वयं मुख्यमंत्री ने भी सार्वजनिक रूप से कहा है कि प्रजापति को अविलंब आत्मसमर्पण कर देना चाहिए। लेकिन प्रजापति द्वारा अभी तक आत्मसमर्पण नहीं किया गया है। वह लगातार फरार चल रहे हैं और उनके विदेश भाग जाने की आशंका है। उन्होंने कहा है कि खबरों के अनुसार फरार चल रहे मंत्री/अभियुक्त की गिरफ्तारी के लिए पुलिस द्वारा उनके विभिन्न ठिकानों पर लगातार छापेमारी भी की जा रही है।