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माओवादियों से लोहा लेने वाले जवानों ने किया भंगड़ा, बेहतर रिश्ता बनाने दिया संदेश

locationसुकमाPublished: Mar 27, 2019 01:53:01 pm

बटालियन के जवानों ने भी कार्यक्रम में रंग भरा। बटालियन की स्थापना 23 मार्च 2003 को हुई थी

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माओवादियों से लोहा लेने वाले जवानों ने किया भंगड़ा, बेहतर रिश्ता बनाने दिया संदेश

सुकमा. दोरनापाल में सबसे पुरानी बटालियन 150 की 17वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया। अफसरों-जवानों ने कार्यक्रम में मनोरंजन का लुफ्त उठाया। शाम को मुख्यालय में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसमें सपरिवार अफसरों के अलावा अन्य बटालियन के अधिकारी-जवान व दोरनापाल के नगरवासी शरीक हुए। बटालियन के जवानों ने भी कार्यक्रम में रंग भरा। बटालियन की स्थापना 23 मार्च 2003 को हुई थी।
ज्ञात हो कि धुर नक्सल सुकमा के दोरनापाल जैसे इलाके में सीआरपीएफ 150 वीं बटालियन को स्थापित हुए 8 वर्ष हो चुके है। इस बीच बटालियन ने न केवल नक्सलियों से लोहा लिया बल्कि ग्रामीणों से भी बेहतर रिश्ते बताने काम करती रही है और सबसे कम नुकसान में इलाके में अपनी पहुंच पकड़ मजबूत करने वाली बटालियन के तौर पर इलाके में सबसे पुरानी बटालियन भी है।
कार्यक्रम के दौरान बटालियन कमांडेंट धर्मेंद्र सिंह, द्वितीय कमान अधिकारी मनीष बमुला, पिंटू यादव, डिप्टी कमांडेंट दिनेश कुमार यादव मौजूद रहे। साथी मुख्य अतिथि के तौर पर कमांडेंट 223 बटालियन मंडल, द्वितीय कमान अधिकारी भारद्वाज समेत एसडीओपी अखिलेश कौशिक, टीआई नाग, विद्याभूषण भारद्वाज व 74 वाहिनी द्वितीय कमान अधिकारी व डिप्टी कमांडेंट अजय शाह मौजूद रहे।
50 फीट ऊंचे तिरंगे की भी हुई स्थापना
150 वीं वाहिनी के स्थापना दिवस के 17 वर्ष पूर्ण होने के साथ बटालियन मुख्यालय में 50 फिट ऊंचे तिरंगे की भी स्थापना की गई। स्थापना दिवस की शाम 8 बजे 50 फिट ऊंचे तिरंगे की स्थापना बटालियन कमांडेंट धर्मेंद्र सिंह की अध्यक्षता में हुई। इसके बाद कमांडेंट की अध्यक्षता में सैनिक सम्मेलन हुआ। सांस्कृतिक कार्यक्रम में छत्तीसगढ़, ओडिय़ा, राजस्थानी, मराठी, हरियाणवीं, महाराष्ट्र, तमिल सभी राज्यों की संस्कृति नाट्य या नृत्य में देखने को मिली । इसके बाद पूरे कार्यक्रम में पूरे जोश व पूरी ऊर्जा के साथ भंगड़ा ने कार्यक्रम में चार चांद लगाए।
एक ही मंच पर थिरके अधिकारी और जवानों के पांव
कार्यक्रम के समापन के बाद कार्यक्रम के मंच पर जवानों की इच्छा पर कमांडेंट समेत अन्य अधिकारी भी मंच पर भंगड़ा करने लगे इसी बीच जवान भी मंच पर उतरे और फिर एक ही मंच पर बटालियन की स्थापना की खुशी में अधिकारी व जवान थिरकने लगे जिसके बाद कमांडेंट ने कार्यक्रम का समापन किया।
इसलिए कहे जाते हैं ये जवान जंगल हीरो
सीआरपीएफ की 150 वाहिनी की कम्पनियां अक्सर जब कोई काम या एपेट्रोलिंग, ऑपरेशन पर निकलती है तो Óवन फाइव जीरों जंगल हीरोंÓ का नारा जरूर लगाती है। बताया जाता है कि इससे जवानों को हौसला मिलता है और पूरे जोश के साथ आगे बढ़ते हैं इलाके की इस बटालियन को जंगल हीरो इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये बटालियन सबसे पुरानी है जो दोरनापाल से जगरगुंडा तक अपनी सेवा सुरक्षा दे चुकी है और इस बटालियन की पहुंच पकड़ भी काफी मजबूत है खास तौर पर सुकमा जैसे सबसे ज्यादा प्रभावित जिले में अब तक के सबसे बड़े हमले हुए हैं मगर अब तक नक्सली 150 वाहिनी को बड़ा नुकसान पहुंचाने में नाकामयाब रही है । कम नुकसान में लगातार इलाके की खाक छानने वाले जवानों की सफलता की वजह से इन्हें जंगल हीरो कहा जाता है।

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