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याराना: बचपन से जहां साथ खेले, उसी स्टेडियम में दोस्त की अर्थी कांधे पर उठा कर लगाया चक्कर

locationसुकमाPublished: Mar 04, 2020 04:47:45 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

सुकमा के सम्राट नगर में रहने वाले दिलीप खालको को फुटबॉल और क्रिकेट से बेहद लगाव था। बचपन से ही वह इलाके के स्टेडियम में खेलता रहता था। उसने अपने साथियों और जूनियर्स को भी खेल की बारीकियां सिखाई।

याराना: बचपन से जहां साथ खेले, उसी स्टेडियम में दोस्त की अर्थी कांधे पर उठा कर लगाया चक्कर

याराना: बचपन से जहां साथ खेले, उसी स्टेडियम में दोस्त की अर्थी कांधे पर उठा कर लगाया चक्कर

सुकमा. किसी भी खेल प्रेमी का सपना होता है कि वह उस खेल और खेल के मैदान से आखिरी पल तक जुड़ा रहे। ऐसा ही कुछ सपना था सुकमा जिले के एक फुटबॉल खिलाड़ी का लेकिन ब्लड कैंसर होने के कारण उसका ये सपना अधूरा ही रह गया था जिसे उसके मरने के बाद उसके दोस्तों ने पूरा किया।

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सुकमा के सम्राट नगर में रहने वाले दिलीप खलको को फुटबॉल और क्रिकेट से बेहद लगाव था। बचपन से ही वह इलाके के स्टेडियम में खेलता रहता था। उसने अपने साथियों और जूनियर्स को भी खेल की बारीकियां सिखाई।

बीते कुछ महीने से उसे पेट दर्द की शिकायत थी। जांच के बाद पता चला की उसे ब्लड कैंसर हैं। यही नहीं उसका शरीर इतना कमजोर हो चूका था की डाक्टरों ने उसे कीमो थेरेपी देने से इंकार कर दिया और घर भेज दिया। बीते रविवार को उसका देहांत हो गया। वह मरने से पहले एक बार स्टेडियम जाना चाहता था।

उसे में उसके दोस्तों ने उसकी आखिरी इच्छा पूरी करने की खातिर उसके शव को अपने कांधे पर स्टेडियम ले गए और उसके चक्कर लगा कर उसे भावभीनी श्रद्धांजलि दी। उनका कहना है कि दिलीप के खेल के प्रति समर्पण को देखते हुए इस स्टेडियम का नाम उसके नाम पर कर दिया जाना चाहिए।

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