मामलें की जांच भी डिप्टी कलक्टर एसएस सोम से कराई गई। उन्होंने अपने जांच प्रतिवेदन मे अरोप तय कर दिया। अब मामले की जांच हुए 4 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन आरोपी अधिकारी पर कार्रवाई करना तो दूर उन्हें पदोन्नत कर के धमतरी में पदस्थ कर दिया गया है।
यह है मामाला
जांच रिर्पोट के मुताबिक 28 जुलाई 2015 को आधी तूफान में सुकमा में कई लोग बेघर हो गए थे। जिसमें 200 पीडि़तों के प्रकरण जिला प्रशासन के पास पहुंचे। जिनमें से 22 लोगों के प्रकरण में 16 लाख 77 हजार 970 का गोलमाल किया गया। जांच अधिकारी ने पाया कि पीडि़तों के फर्जी हस्ताक्षकर कर और देय पत्रक में कांटछाट करके गोलमाल किया गया। अधिकारी की गड़बड़ी को जांच अधिकारी ने सिविल सेवा आचरण नियम 1965 का उल्लंघन बताते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की है।